पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के शिल्पी डॉ. अब्दुल कादिर खान का निधन
इस्लामाबाद, 10 अक्टूबर। पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के शिल्पी डॉ. अब्दुल कादिर (एक्यू) खान का रविवार को निधन हो गया। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार 85 वर्षीय अब्दुल कादिर की तबीयत बिगड़ने पर शनिवार की रात खान रिसर्च लैबोरेटरीज (केआरआल) अस्पताल लाया गया था, जहां आज सुबह 7.04 बजे उनका निधन हो गया। डॉक्टरों के अनुसार एक्यू खान की मौत फेफड़े में संक्रमण के कारण हुई।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी, प्रधानमंत्री इमरान खान व रक्षा मंत्री परवेज खट्टक सहित अन्य संघीय मंत्रियों ने देश के शीर्ष वैज्ञानिक के निधन पर दुख व्यक्त किया है।
पीएम इमरान बोले – पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वो एक हीरो थे
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने निधन पर गहरा दुख जाहिर किया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘डॉ अब्दुल कादिर खान के निधन से बेहद दुखी हूं। पूरा मुल्क उनसे बेहद प्यार करता है। उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमें परमाणु हथियार दिया है। पाकिस्तान के नागरिकों के लिए वो एक हीरो थे।’
He will be buried in Faisal Mosque as per his wishes. My condolences & prayers go to his family.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 10, 2021
इमरान खान ने एक एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘डॉ. कादिर को उनकी इच्छा के अनुरूप फैजल मस्जिद में दफनाया जाएगा। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थना उनके परिवार के साथ हैं।’
डॉ. खान की शिकायत थी – इमरान सहित किसी ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी नहीं ली
गौर करने वाली बात यह है कि डॉ.खान ने पिछले माह ही शिकायत की थी कि अस्पताल में इलाज के दौरान न तो पीएम इमरान और न ही उनके किसी कैबिनेट सदस्य ने उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। पाकिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी एपीपी के अनुसार डॉ. खान को गत 26 अगस्त को केआरएल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जब उन्होंने कोविड पॉजिटिव पाया गया था। बाद में उन्हें रावलपिंडी के एक सैन्य अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन वायरस से उबरने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।
पाकिस्तानी राष्ट्रपति डॉ. अल्वी ने शोक व्यक्त किया
राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने अपनी शोक संवेदना में कहा कि वह 1982 से डॉ. खान को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने हमें राष्ट्र-बचत परमाणु प्रतिरोध विकसित करने में मदद की और एक कृतज्ञ राष्ट्र इस संबंध में उनकी सेवाओं को कभी नहीं भूलेगा।’
भोपाल में जन्मे डॉ. कादिर को ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा गया था
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 1936 में जन्मे डॉ. खान ने अपने परिवार के साथ 1947 में उपमहाद्वीप के विभाजन के बाद पाकिस्तान में शरण ली थी। 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद वह परमाणु शक्ति विकसित करने के अपने देश के गुप्त प्रयासों में शामिल हो गए थे। रेडियो पाकिस्तान के अनुसार, उन्होंने 1976 में खान अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की थी और कई वर्षों तक इसके मुख्य वैज्ञानिक और निदेशक रहे। पाकिस्तानी परमाणु बम का विस्फोट करने के बाद उन्हें ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से सम्मानित किया गया था।
वैश्विक परमाणु प्रसार में शामिल होने का आरोप लगा था
डॉ. कादिर पर वैश्विक परमाणु प्रसार में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। खान ने 2004 में उत्तर कोरिया, लीबिया को परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में मदद करने की बात कबूल की थी।