तालिबान की भारत से पेशकश – ‘पुरानी सरकारों से रिश्ता भूल कर काबुल में शुरू करिए दूतावास, देंगे पूरी सुरक्षा’
काबुल, 23 मई। अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान चाहता है कि भारत उसके साथ वैसा ही संबंध रखे, जैसा वह अफगान की लोकतांत्रिक सरकार के साथ रखता था। लेकिन इसके साथ ही तालिबान का यह भी कहना है कि भारत इस देश के पुराने नेताओं के साथ कोई संबंध नहीं रखे।
तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन की अपील
दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख और आधिकारिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने इस मामले में तालिबान की पेशकश रखते हुए कहा कि भारत को आगे बढ़ना चाहिए और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ राष्ट्रीय और पारस्परिक हित के आधार पर परस्पर संबंधों को फिर से बहाल करना चाहिए।
पूर्व अफगानी राजनेता अशरफ गनी के साथ सारे संबंधों को तोड़ना होगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुहैल शाहीन ने यह भी कहा कि भारत पूर्व अफगानी राजनेता अशरफ गनी के साथ सारे संबंधों को तोड़ते हुए एक नई शुरूआत करे। तालिबान नेता ने कहा कि भारत को अफगानिस्तान के लोगों के साथ गहरे संबंध बनाने की पहल करनी चाहिए और काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलना चाहिए।
काबुल में सभी देशों के राजनयिकों को सुरक्षा की पूरी गारंटी देंगे
तालिबानी प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि तालिबानी सुरक्षा सेना भारतीय दूतावास और वहां काम करने वाले राजनयिकों को पूरी सुरक्षा देने का वचन देता है। उन्होंने कहा, ‘हमने केवल भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों के बारे में भी इस बात की घोषणा बार-बार की है कि जिन भी देशों के राजनयिक काबुल में काम करेंगे, हम उनकी सुरक्षा की पूरी गारंटी लेते हैं। हम इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और हमने इस वादे को कई दफे साबित भी किया है।’
सुहैल शाहीन ने कहा, ‘तालिबान सरकार ने काबुल में काम कर रहे कई दूतावासों को पूरी सुरक्षा दी है और वो बिना किसी भय के पूरी स्वतंत्रता के साथ अपना काम कर रहे हैं। हम सभी देशों के दूतावासों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसमें भारत भी शामिल है। अगर भारत दोबारा काबुल में अपना दूतावास खोलता है तो तालिबान इसका स्वागत करेगा।’
अशरफ गनी को पुराने चश्में से न देखें, वह तो सपरिवार विदेश में रह रहे
उन्होंने कहा, ‘भारत तालिबान को पूर्व राजनेता अशरफ गनी और उनके अधिकारियों के चश्मे से न देखे, वो तो अफगानिस्तान को छोड़कर अपने परिवारों के साथ विदेश में रह रहे हैं।’
उल्लेखनीय हैं कि 2021 में जब अमेरिकी फौज अफगानिस्तान को छोड़कर जा रही थी और तालिबान धीरे-धीरे अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए आगे बढ़ रहा था, तभी अगस्त 2021 में भारत ने काबुल स्थित अपना दूतावास बंद कर दिया था। उसके पहले भारत ने तालिबानी हमले को देखते हुए मजार-ए-शरीफ, कंधार, हेरात और जलालाबाद में अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया या।