ताइवानी राष्ट्रपति की चीन को चेतावनी – कब्जे की कोशिश की तो पूरे एशिया में होगा विनाश
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर। चीन के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर गत एक अक्टूबर को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की ओर से ताइवान (चीनी ताइपे) के रक्षा वायु क्षेत्र में 38 लड़ाकू विमान उड़ाने की घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस क्रम में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने चीन को कड़ी चेतावनी दी है।
राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा – खुद को बचाने के लिए ताइवान कुछ भी करने को तैयार
राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा है कि चीन ने यदि ताइवान पर कब्जा किया तो पूरे एशिया में इसके गंभीर और विनाशकारी परिणाम होंगे। फॉरेन अफेयर्स पत्रिका में प्रकाशित लेख में ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवान सैन्य टकराव नहीं चाहता, लेकिन अपने आपको बचाने के लिए के लिए जो भी करना पड़ेगा, उसे करने से नहीं चूकेगा।
जिनपिंग कह चुके हैं – ताइवान पर चीन का कब्जा निश्चित रूप से होगा
चीनी ताइपे की नेता का यह बयान एक ऐसे वक्त आया है, जब ताइवान पर कब्जे के लिए चीन जबर्दस्त दबाव बना रहा है। ताइवान अपने आपको एक स्व-शासित लोकतांत्रिक द्वीप के तौर पर देखता रहा है, लेकिन चीन का मानना है कि ताइवान उसका हिस्सा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि ताइवान पर चीन का कब्जा निश्चित रूप से होगा।
चीन 2016 के बाद से ताइवानी क्षेत्र में लगातार बढ़ा रहा दबाव
गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रीय दिवस पर बीते शुक्रवार को 38 लड़ाकू विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में दो बार उड़ान भरी और इसे चीन द्वारा अब तक का सबसे बड़ा अतिक्रमण बताया गया था। वर्ष 2016 में ताइवान में हुए राष्ट्रपति चुनावों के बाद से चीन ने इस क्षेत्र में सैन्य, राजनयिक और आर्थिक दबाव को बढ़ाया है क्योंकि इन चुनावों में इंग-वेन ने जीत हासिल की थी और वे ताइवान को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानती रही हैं। साथ ही उन्होंने यह भी लगातार कहा है कि ताइवान, चीन का हिस्सा नहीं है।
दिलचस्प तो यह है कि चीन एक महाशक्ति होने के बावजूद क्यूबा से भी छोटे द्वीप ताइवान पर अब तक सैन्य हमला नहीं कर पाया है। चीन से महज 180 किलोमीटर दूर ताइवान की भाषा और पूर्वज चीनी ही हैं, लेकिन वहां की राजनीतिक व्यवस्था काफी अलग है।