सुशीला कार्की बनीं नेपाल की पहली महिला पीएम, पूर्व चीफ जस्टिस ने संभाली अंतरिम सरकार की कमान
काठमांडू, 12 सितम्बर। नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार की शाम अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शीतल निवास में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। 73 वर्षीय कार्की नेपाल की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला हैं। इस प्रकार उन्होंने देश के इतिहास में दूसरी बार नए अध्याय का सृजन किया। दरअसल, वह अपने समय में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी थीं।
राष्ट्रपति पौडेल ने सरकार को 6 माह के भीतर चुनाव कराने का दिया निर्देश
राष्ट्रपति पौडेल ने संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत कार्की को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। 2015 में नए संविधान के लागू होने के बाद से सभी पिछली सरकारें अनुच्छेद 76 के तहत गठित हुई थीं। पहली बार अनुच्छेद 61 के तहत कार्की को पीएम बनाया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कहा गया है कि सरकार को छह महीने के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया गया है।
संसद भंग होने के एलान के बाद हुआ शपथ समारोह
कार्की की शपथ संसद भंग होने के एलान के बाद हुई है। शुक्रवार को काठमांडू में दिनभर चली बातचीत के बाद शीर्ष नेताओं में नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाने पर सहमति बनी। कार्की ने ऐसे समय सरकार की कमान संभाली है, जब पूरे नेपाल में भारी राजनीतिक उथल पुथल मची है। नेपाल में रविवार से बड़े पैमाने पर जारी विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।
President Ramchandra Paudel on Friday administered the oath of office of secrecy to newly appointed Prime Minister Sushila Karki at a ceremony at Sheetal Niwas, the President’s Office. The government has been mandated to hold elections within six months. pic.twitter.com/hr8fHEgHY0
— The Kathmandu Post (@kathmandupost) September 12, 2025
विरोध के बाद केपी शर्मा ओली को देना पड़ा था इस्तीफा
उल्लेखनीय है कि जेन जेड की ओर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को मंगलवार को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में भ्रष्टाचार पर अंकुश, पक्षपात समाप्त करना और सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध हटाना शामिल था।
Gen Z के प्रदर्शन में एक भारतीय नागरिक सहित अब तक 51 लोगों की मौत
नेपाल में हुए इस जेन जेड प्रदर्शन में एक भारतीय नागरिक सहित कम से कम 51 लोगों की मौत हुई है और लगभग 1,500 लोग घायल हुए हैं। काठमांडू में बीते कई दिनों से आम जिंदगी पटरी से उतरी हुई है। सड़कों पर उतरकर सेना को मोर्चा संभालना पड़ा है। ऐसे में कार्की के सामने नेपाल में कानून-व्यवस्था बहाल करने की पहली चुनौती है।
पहली चीफ जस्टिस, पहली पीएम
सुशीला कार्की ने 11 जुलाई, 2016 से 6 जून, 2017 तक नेपाल की मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया है। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला थीं और अपनी मितव्ययी कार्यशैली के लिए जानी जाती हैं। अब वह नेपाल की ऐसी पहली महिला बनी हैं, जो प्रधानमंत्री पद तक पहुंची हैं। पीएम के लिए उनके नाम पर युवा प्रदर्शकारी समेत ज्यादातर पक्ष सहमत हुए।
बीएचयू से की राजनीति विज्ञान की पढ़ाई
कार्की का जन्म सात जून, 1952 को विराटनगर में हुआ था। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद भारत के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की। 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई के बाद वकील के रूप में अपना कानूनी करिअर शुरू किया।
कार्की के सामने पहली चुनौती
कार्की वर्ष 1990 में पंचायती राजतंत्र को उखाड़ फेंकने के लिए हुए जन आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल जा चुकी हैं। कार्की नेपाल के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बीपी कोइराला के परिवार की करीबी रही हैं। उनके पति दुर्गा सुबेदी 1973 में रॉयल नेपाल एयरलाइंस के एक विमान को हाईजैक करके उसे भारत ले गए थे और नेपाल राष्ट्र बैंक की नकदी लूट ली थी। इस पैसे का इस्तेमाल पार्टी के लोकतंत्र समर्थक अभियान में किया गया था।
फिलहाल अंतरिम सरकार की कमान संभालते ही कार्की के सामने जेनरेशन जेड, टेक्नोक्रेट और मौजूदा राजनेताओं के अस्पष्ट और अलग-अलग समूहों से बनी एक मंत्रिपरिषद बनाने का चुनौतीपूर्ण काम है। कार्की के सामने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की बड़ी चुनौती है। साथ ही नेपाल के दो अहम पड़ोसियों – चीन और भारत के साथ अस्थिर भू-राजनीतिक संबंधों को भी उन्हें संभालना होगा।
