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ऋषभ पंत की मदद करने वाले बस ड्राइवर सुशील कुमार बोले – ‘हाईवे पर ही रहता हूं, मैं नहीं तो भला कौन बचाता…’

ऋषभ पंत की मदद करने वाले बस ड्राइवर सुशील कुमार बोले – ‘हाईवे पर ही रहता हूं, मैं नहीं तो भला कौन बचाता…’

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चंडीगढ़, 1 जनवरी। दिल्ली-देहरादून रूट को सुशील कुमार से बेहतर कम ही लोग जानते हैं, जो लगभग एक दशक से हर दूसरे दिन हाईवे पर होते हैं। हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर को हरिद्वार-पानीपत रूट की जिम्मेदारी मिले एक माह से अधिक का समय हो गया है, जिनका सफर पवित्र शहर हरिद्वार से तड़के 4 बजकर 25 मिनट पर शुरू होता है।

सुशील कुमार शुक्रवार को भी इसी समय पर हरिद्वार से निकले और जब रुड़की में नारसन सीमा के पास पहुंचे तो उन्होंने तेज गति से एक कार को डिवाइडर से टकराते हुए देखा। उन्होंने टक्कर से बचने के लिए अपनी बस को सुरक्षित दूरी पर पार्क किया और बस के कंडक्टर परमजीत के साथ क्षतिग्रस्त कार के अंदर फंसे व्यक्ति को बचाने के लिए बाहर निकले।

सुशील को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह जिस व्यक्ति को कार से बाहर निकाल रहे हैं, वह स्टार विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत हैं। सुशील ने बताया, ‘मुझे बस इतना पता था कि उस आदमी को बचाना जरूरी था। मेरे लिए यह अंतरात्मा की पुकार थी। अगर मैंने जवाब देने में देर की होती तो कार में विस्फोट हो जाता। मैं हाईवे पर रहता हूं। अगर मैं मदद नहीं करूंगा, तो कौन करेगा?’

पहले भी कर चुके हैं लोगों की मदद

ऐसा पहली बार नहीं था, जब 42 वर्षीय सुशील कुमार ने किसी की मदद के लिए हाथ बढ़ाया हो। जब 2020 में कोविड का प्रकोप हुआ, तो उन्होंने उन प्रवासी श्रमिकों को घर छोड़ने की पेशकश की थी, जिन्होंने लंबी पैदल यात्रा शुरू की थी।

वर्ष 2008 में उन्होंने हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर के पद के लिए आवेदन किया और मेरिट लिस्ट में जगह बनाई। नियुक्ति पत्र के लिए हालांकि उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा। थके और निराश होकर, कुमार ने 2012 में सऊदी अरब में एक निजी ड्राइवर के रूप में नौकरी की। दो साल बाद, जब सरकार ने भर्ती सूची की घोषणा की तो वह अपनी ‘सपनों की नौकरी’ पर लौट आए।

मेरा पहला मकसद बस के यात्रियों को बचाना था : सुशील

एक दशक पुराने अनुभव के साथ सुशील जानते हैं कि अल सुबह का समय होता है, तब ड्राइवरों को अपनी आंखें खुली रखने में मुश्किल होती है। शुक्रवार को वह 33 लोगों को बस में ले जा रहे थे। तभी सामने से एक मर्सिडीज कार अनियंत्रित हो गई है। सुशील ने बताया कि ‘मुझे पता था कि कार दुर्घटनाग्रस्त होने वाली थी। तो, मैं धीमा हो गया। मेरा पहला मकसद टक्कर से बचने और बस में यात्रियों को बचाने का था।’

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