जापान : हिरोशिमा परमाणु बम हमले में बचे 96 वर्षीय सुनाओ सुबोई का निधन
टोक्यो, 28 अक्टूबर। विश्व की पहली परमाणु बमबारी झेलने के बाद परमाणु हथियारों के विरोध को अपने जीवन का संदेश बनाने वाले जापानी नागरिक सुनाओ सुबोई का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
परमाणु हथियारों के खिलाफ अभियान के संगठन के एक अधिकारी ने बताया कि सुबोई ने गत 24 अक्टूबर को दक्षिण-पश्चिमी जापान के हिरोशिमा के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। डॉक्टरों के अनुसार एनीमिया के कारण दिल की अनियमित धड़कन के कारण उनकी मौत हुई।
हिरोशिमा पर हमले के दौरान कॉलेज जा रहे थे त्सुबोई
बताया जाता है कि त्सुबोई छह अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाते वक्त कॉलेज जा रहे थे। इंजीनियरिंग के छात्र 20 वर्षीय सुबोई उस हमले में पूरी तरह झुलस गए थे। हमले में तो वह बच गए लेकिन बाद में उन्हें कैंसर हो गया और उनका पूरा जीवन कमोबेश अस्पताल ही में गुजरा।
उस परमाणु बम हमले में लगभग 1.40 लाख लोग मारे गए थे। तीन दिन बाद यानी नौ अगस्त को अमेरिकी सेना ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया, जिसमें 70,000 लोग मारे गए। इसके बाद जापान ने 15 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया था। इस त्रासदी को देखते हुए सुबोई ने परमाणु हथियार उन्मूलन अभियान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के हिरोशिमा दौरे के वक्त मुलाकात हुई थी
वर्ष 2016 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के हिरोशिमा दौरे के दौरान सुबोई ने उनसे मुलाकात की थी। हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का यह पहला दौरा था।
हिरोशिमा की उस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान ओबामा और सुबोई ने एक-दूसरे का हाथ थामे रखा और चौड़ी मुस्कान के बीच एक-दूसरे का स्वागत किया था। वहां एक दुभाषिया भी मौजूद था। सौम्य व भावुक सुबोई ने याद किया कि उन्होंने ओबामा को यह बताने के लिए तेजी से बात करने की कोशिश की कि उन्हें परमाणु बम से बचे लोगों की बात सुनने के लिए याद किया जाएगा, जिन्हें जापानी में ‘हिबाकुशा’ के रूप में जाना जाता है। ओबामा के बारे में त्सुबोई ने यह भी कहा था, ‘मुझे लगता है कि वह इतने ईमानदार व्यक्ति हैं या दूसरों के लिए महसूस करने का दिल रखते हैं।’
गौरतलब है कि दूसरे विश्व युद्ध के आखिरी चरण में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था। हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने से प्रभावित लगभग 1.27 लाख लोग अब भी जीवित हैं। सुबोई के परिवार में एक बेटा और दो बेटियां हैं।