सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लगाई फटकार, कहा – ‘आप आग से खेल रहे हैं..’
नई दिल्ली, 10 नवम्बर। उच्चतम न्यायालय ने पंजाब विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच जारी गतिरोध को गंभीर चिंता का विषय करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में जो हो रहा है, उससे वह खुश नहीं है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों से कहा, ‘हमारा देश स्थापित परंपराओं और परिपाटियों से चल रहा है और उनका पालन करने की जरूरत है।’
पीठ ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति नहीं देने के लिए पंजाब के राज्यपाल पुरोहित के प्रति नाखुशी जाहिर करते हुए कहा ‘आप आग से खेल रहे हैं।’ साथ ही पीठ ने विधानसभा सत्र को असंवैधानिक करार देने की उनकी शक्ति पर भी सवाल उठाया। पीठ ने पंजाब सरकार से भी सवाल किया कि उसने विधानसभा के बजट सत्र की बैठक को स्थगित क्यों किया, सत्रावसान क्यों नहीं किया गया?
‘राज्यपाल इस तथ्य से अनजान न रहें कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं‘
सीजेआई की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि वह विधेयकों को मंजूरी देने की राज्यपाल की शक्ति के मुद्दे पर कानून तय करने के लिए एक संक्षिप्त आदेश पारित करेगी। छह नवम्बर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य के राज्यपालों को इस तथ्य से अनजान नहीं रहना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं। इसने राजभवन द्वारा राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर काररवाई नहीं करने पर अपनी चिंता व्यक्त की और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा की गई काररवाई का विवरण रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था।
पंजाब सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था
पंजाब सरकार ने पूर्व में राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर से मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की असंवैधानिक निष्क्रियता ने पूरे प्रशासन को ठप कर दिया है।
विधेयकों को रोक नहीं सकते राज्यपाल
इसमें कहा गया है कि राज्यपाल अनिश्चितकाल तक विधेयकों को रोक नहीं सकते क्योंकि उनके पास संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत सीमित शक्तियां हैं, जो किसी विधेयक पर सहमति देने या रोकने या राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को रखने की राजभवन की शक्ति से संबंधित है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के राज्यपाल का मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है।