सुप्रीम कोर्ट का शाहीन बाग अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार, दिल्ली हाई कोर्ट जाने को कहा
नई दिल्ली, 9 मई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने सीपीआई (एम) और अन्य याचिकाकर्ताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय जाने का सुझाव दिया। इसके पूर्व दिन में सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग इलाके में नागरिक निकाय द्वारा एक विध्वंस अभियान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी।
गौरतलब है कि सोमवार को पूर्वाह्न अतिक्रमण के खिलाफ चलाए गए अभियान को लेकर घंटों काफी हंगामा हुआ था। स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत क्षेत्र में पहुंचे यातायात और बुलडोजर की आवाजाही को अवरुद्ध करने के कारण अभियान को रोक दिया गया था।
सीपीआई (एम) की दिल्ली इकाई और हॉकर्स यूनियन द्वारा शनिवार को याचिका दायर की गई थी, जिसमें नागरिक निकाय के अतिक्रमण विरोधी अभ्यास को ‘प्राकृतिक न्याय, कानून और संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन’ बताया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘सीपीआई (एम) क्यों याचिका दायर कर रही है?’ इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल के इशारे पर दखल नहीं दे सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी क्योंकि याचिकाकर्ताओँ को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वे अनाधिकृत कब्जा करने वाले या अतिक्रमण करने वाले नहीं थे जैसा कि प्रतिवादियों – एसडीएमसी और अन्य ने आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम भी कई नागरिक अधिकार समूहों और विपक्षी दलों के निशाने पर आ चुका है, जब उसने एक अतिक्रमण विरोधी अभियान में जहांगीरपुरी इलाके में ढांचों को बुलडोजर गिरा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वहां ऑपरेशन रोक दिया गया था।