नई दिल्ली, 24 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने इसी क्रम में याचिका पर सुनवाई के लिए फिलहाल कोई तारीख देने से भी इनकार कर दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा – चीजों को और समसनीखेज मत बनाइए
मुस्लिम छात्रा एशत शिफिया ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील देवदत्त कामत ने कहा कि परीक्षा 28 मार्च से शुरू होने वाली है और अगर हिजाब के साथ एंट्री नहीं दी गई तो छात्रा का एक साल बर्बाद हो सकता है। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा – ‘परीक्षाओं का हिजाब से कोई लेना-देना नहीं है…चीजों को और समसनीखेज मत बनाइए।’
कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था – हिजाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं
गौरतलब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों के अंदर हिजाब सहित धार्मिक पोशाकों पर प्रतिबंध को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है।
इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर होली की छुट्टी के बाद सुनवाई करने के लिए 16 मार्च को सहमत हो गया था। कोर्ट ने कुछ छात्राओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की उन दलीलों पर गौर किया था कि आगामी परीक्षाओं को देखते हुए तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।
हाई कोर्ट ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उसने कहा था कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं।