
सुप्रीम कोर्ट ने MP में दो महिला न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति आदेश को किया खारिज
नई दिल्ली, 28 फरवरी। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में दो महिला न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति के आदेश को खारिज करते हुए इस कार्रवाई को ‘‘दंडात्मक, मनमानी और अवैध’’ करार दिया। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने निर्देश दिया कि दोनों अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर सेवा में बहाल किया जाए।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘इन दो न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति दंडात्मक, मनमानी है और इसलिए यह कार्रवाई अवैध है।’’ न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि फैसले में भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के मुद्दे पर भी चर्चा की गई है।
शीर्ष अदालत ने 17 दिसंबर, 2024 को, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति से संबंधित मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर, 2023 को, कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला दीवानी न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था।
हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक पूर्ण अदालत ने एक अगस्त, 2024 को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों- ज्योति वरकड़े, सोनाक्षी जोशी, प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया।