लखीमपुर खीरी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्र को दी अंतरिम जमानत, यूपी व दिल्ली में न रहने की हिदायत
नई दिल्ली, 25 जनवरी। लखीमपुर हिंसा के आरोपित और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्र ‘मोनू’ को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आठ महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली या फिर यूपी में न रहने की हिदायत दी गई है। जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने उनकी जमानत अर्जी पर फैसला सुनाने के साथ कहा कि इस मामले की सुनवाई की निगरानी वह खुद करेगी।
हिदायत – गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की तो तत्काल खारिज होगी जमानत
गौरतलब है कि आशीष मिश्रा किसानों को गाड़ी से कुचलकर मारने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस अवधि के दौरान उन्हें दिल्ली और यूपी से बाहर ही रहना होगा। इसके अलावा वह जहां भी रहें, उसकी पूरी जानकारी देनी होगी। अगर वह गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं तो तत्काल उनकी जमानत खारिज कर दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 19 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट ने गत 19 जनवरी को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने आशीष मिश्र की जमानत का विरोध किया था। योगी सरकार का कहना था कि यह गंभीर मामला है और इसमें अगर आरोपित को जमानत दी जाती है तो गलत संदेश जाएगा। सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने भी कहा था कि यह हत्याकांड सोची समझी साजिश के तहत किया गया था और आशीष मिश्र के पिता प्रभावशाली हैं।
वहीं आशीष मिश्र की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि जमानत का आधार यह नहीं हो सकता कि कौन प्रभावशाली है और कौन नहीं। रोहतगी ने कहा था कि आशीष मिश्र एक साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं। वह कोई हिस्ट्रीशीटर नहीं हैं। उनका आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। रोहतगी ने कहा कि ऐसे लोगों के बयान पर केस दर्ज किया गया था, जो कि घटना के चश्मदीद नहीं थे।
स्मरण रहे कि तीन अक्टूबर, 2021 को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की रैली के विरोध में किसान लखीमपुर खीरी में जुटे थे। उसी वक्त थार एसयूवी ने चार किसानों को कुचल डाला। इसमें आशीष मिश्र भी बैठे थे। इसके बाद किसानों ने भी कथित तौर पर एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला था। इसमें एक पत्रकार की भी जान चली गई थी। इसके बाद आशीष मिश्र समेत 13 आरोपितों पर दंगा, हत्या, हत्या के प्रयास और जानबूझकर चोट पहुंचाने का मुकदमा दर्ज किया गया था।