सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड में 8 दोषियों को दी जमानत, फांसी की सजा पाए 4 को राहत नहीं
नई दिल्ली, 21 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड में आठ दोषियों को शुक्रवार को जमानत दे दी। ये दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे। हालांकि शीर्ष अदालत ने चार दोषियों की जमानत याचिका को उनकी भूमिका को देखते हुए खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया।
उल्लेखनीय है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगा दी थी, जिसमें अयोध्या से लौट रहे 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में कई जगह सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।
दरअसल, आठ दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और ट्रायल कोर्ट ने उनकी सजा बरकरार रखी थी। वहीं चार दोषियों को निचली अदालत से फांसी की सजा मिली थी। लेकिन हाई कोर्ट ने उसे उम्रकैद मे तब्दील कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इन लोगों को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा दी थी, जिसे उच्च न्यायालय ने कम कर दिया था। हाई कोर्ट के उसी फैसले को गुजरात सरकार ने चुनौती दी है। यही नहीं गुजरात सरकार ने तो इन दोषियों की बेल अर्जी का भी विरोध किया था। वहीं दोषियों के वकीलों ने कहा कि ये लोग पहले ही जेल में 17 साल काट चुके हैं।
गुजरात सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन लोगों ने गंभीर अपराध किया था। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने न सिर्फ ट्रेन पर पत्थर फेंके बल्कि बोगी का दरवाजा भी बंद कर दिया था ताकि लोग बाहर न निकल सकें। तुषार मेहता ने कहा कि इन लोगों ने जो अपराध किया है, वह जघन्य से जघन्य है। ऐसे में इन लोगों को बेल नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन लोगों के खिलाफ टाडा के तहत केस दर्ज हुआ था। इससे इनके अपराध की गंभीरता का पता चलता है।
एक दिन पहले ही नरोदा नरसंहार के सभी आरोपित बरी किए गए थे
इसके पहले बीते गुरुवार को अहमदाबाद की विशेष अदालत ने 2002 गुजरात दंगे के ही दौरान नरोदा गाम नरसंहार मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया। अदालत ने 21 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अपना फैसला सुनाया था।
नरोदा कांड में बरी किए गए लोगों में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी भी शामिल हैं। इस मामले में वैसे कुल 86 आरोपित थे, लेकिन 13 वर्षों तक चले लंबे ट्रायल के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में अदालत ने 68 आरोपितों को निर्दोष घोषित करते हुए बरी कर दिया।