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सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को बताया अवैध, रिहा करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को बताया अवैध, रिहा करने का आदेश

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नई दिल्ली, 15 मई। सुप्रीम कोर्ट ने समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक एवं प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए बुधवार को उन्हें रिहा करने का आदेश जारी किया।

कोर्ट ने कहा – गिरफ्तारी के समय उसका आधार भी नहीं बताया गया

जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली दो सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी और उसके बाद उन्हें हिरासत में रखा जाना कानून की नजर में अवैध था। अदालत ने ये भी कहा कि पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के समय यह नहीं बताया गया कि इसका आधार क्या था। इसकी वजह से गिरफ्तारी निरस्त की जाती है।

चीन से अवैध फंडिंग लेने के आरोप में पिछले अक्टूबर में वर्ष हुई थी गिरफ्तारी

पीठ ने कहा कि निचली अदालत द्वारा तय की गई मुचलके की राशि को जमा करने के बाद प्रबीर पुरकायस्थ को जेल से रिहा किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पुरकायस्थ को गत वर्ष तीन अक्तूबर को चीन से अवैध फंडिंग लेने के आरोपों में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था।

पुरकायस्थ को सबूतों से छेड़छाड़ न करने का निर्देश

इस बीच दिल्ली की एक अदालत ने प्रबीर पुरकायस्थ को निर्देश दिया है कि वे मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करेंगे या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) हरदीप कौर ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश जारी करते हुए यह शर्त लगाई।

किसी भी गवाह या सरकारी गवाह अमित चक्रवर्ती से संपर्क न करने की भी हिदायत

एएसजे ने आरोपित को आतंकवाद रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में एक लाख रुपये का निजी मुचलका भरने और इतनी ही राशि की दो जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने पुरकायस्थ को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले में किसी भी गवाह या सरकारी गवाह अमित चक्रवर्ती से संपर्क न करें।

गौरतलब है कि समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अनुसार उसे कथित तौर पर ‘भारत की संप्रभुता को बाधित करने’ और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से धन मिला था। प्राथमिकी में यह भी आरोप है कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान पहुंचाने के लिए ‘पीपल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म’ (पीएडीएस) नामक समूह के साथ साजिश रची थी।

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