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प्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान पुरी में भगदड़ जैसी स्थिति, रथ खींचने के दौरान एक श्रद्धालु की मौत, कई अन्य घायल

प्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान पुरी में भगदड़ जैसी स्थिति, रथ खींचने के दौरान एक श्रद्धालु की मौत, कई अन्य घायल

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पुरी, 7 जुलाई। ओडिशा के पुरी में रविवार को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। प्रभु जगन्नाथ का तलध्वज रथ खींचने के दौरान मची अफरा-तफरी में दम घुटने से बोलांगीर जिले के एक पुरुष श्रद्धालु की कथित तौर पर दम घुटने से मौत हो गई और अन्य कई घायल हो गए।

पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल में डॉक्टरों ने भक्त को मृत घोषित कर दिया। अन्य घायलों को मौके पर मौजूद आपातकालीन सेवा की मदद से जिला मुख्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि पुलिस ने भगदड़ को रोक दिया और जल्द ही हालात पर नियंत्रण कर लिया।

दरअसल, पुरी में रविवार को भगवान जगन्नाथ की लगभग 45 फुट ऊंचे लकड़ी के रथ को खींचने के लिए लाखों लोग इकट्ठा हुए थे। यह वार्षिक और ऐतिहासिक यात्रा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाता है। इस पवित्र अवसर पर भगवान की एक झलक पाने के लिए हजारों भक्तगण जय जगन्नाथ और हरिबोल के नारे लगाते हैं। ऐसा अनुमान है कि इस मौके पर करीब 10 लाख श्रद्धालु एकत्रित हुए थे।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हिन्दी स्कूल छाक के पास पुरी बड़ा डांडा में रथ खींचने के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। यह दुर्घटना भगवान बलभद्र के रथ को खींचने के दौरान हुई। जो श्रद्धालु पारंपरिक रूप से जुलूस का नेतृत्व कर रहा था, पहले वह गंभीर रूप से घायल हो गया और फिर उसके साथ कई श्रद्धालुओं को भी चोट आई। घटनास्थल पर मौजूद आपातकालीन सेवाओं ने घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया, जहां एक श्रद्धालु की मौत हो गई।

बारहवीं शताब्दी के मंदिर और तीन किलोमीटर लंबी भव्य सड़क के चारों ओर ‘जय जगन्नाथ’, ‘हरोबोल’ के नारे और झांझ की ध्वनि गूंज उठी। मंदिर के सेवकों – दैतापतियों द्वारा अपने-अपने रथों को मंदिर के गर्भगृह से जोड़कर देवताओं को ‘रत्न सिंहासन’ से बाहर निकाले जाने के कारण इसे ‘बड़ा डंडा’ के नाम से जाना जाता है। भगदड़ जैसी स्थिति बड़ा डांडा में हुई।

53 साल बाद ऐसा संयोग, एक ही दिन सभी अनुष्ठान

इस बार लगभग 53 वर्षों के अंतराल के बाद, नेत्र उत्सव, देवताओं के नबजौबन दर्शन और रथ यात्रा जैसे अनुष्ठान सात जुलाई को एक ही दिन में किए गए। चूंकि सभी तीन प्रमुख अनुष्ठान एक ही दिन में किए गए है, इसलिए सड़क पर कुछ मीटर नीचे लुढ़कने के बाद रथों को खींचने की प्रक्रिया निलंबित होने की पूरी संभावना है। यात्रा सोमवार सुबह अपने अंतिम गंतव्य जगन्नाथ मंदिर से तीन किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर के लिए फिर से शुरू होगी।

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