
स्टालिन ने साधा निशाना – कानूनी पेशे की स्वतंत्रता पर हमला कर रही मोदी सरकार
चेन्नई, 23 फरवरी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2025 को लेकर रविवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक ‘कानूनी पेशे की स्वायत्तता पर सीधा हमला’ है। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक में तमिलों के प्रति भाजपा की अरुचि स्पष्ट है क्योंकि वह तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल का नाम बदलकर मद्रास बार काउंसिल करना चाहती है।
‘तमिलनाडु महज नाम नहीं है, यह हमारी पहचान’
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) प्रमुख स्टालिन ने कहा, ‘तमिलनाडु महज नाम नहीं है, यह हमारी पहचान है।’ उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि 2014 से भाजपा सरकार ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनियोजित तरीके से कमजोर कर रही है – पहले एनजेएसी के माध्यम से न्यायिक नियुक्तियों को नियंत्रित करने की कोशिश करके और फिर न्यायिक नियुक्तियों और स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज करके।’
वकीलों का किया समर्थन
स्टालिन ने कहा, ‘अब बार काउंसिल पर नियंत्रण की बात करते हुए उसका लक्ष्य कानूनी पेशे की स्वायत्तता को खत्म कर न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करना है। हालांकि मसौदा विधेयक के विरुद्ध स्वतःस्फूर्त विरोध और कड़े प्रतिरोध ने केंद्र सरकार को इसे वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन यह शर्त निंदनीय है कि इस पर पुनर्विचार किया जाएगा और नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाएगी।’
स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करती है और केंद्र सरकार से कानूनी पेशे की स्वायत्तता का सम्मान करने की अपील करती है। उल्लेखनीय है कि बार निकायों द्वारा विधेयक के विभिन्न प्रावधानों के विरोध के बीच सरकार ने शनिवार को कहा कि वह अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक के मसौदे को संशोधित करेगी।