ओलंपिक हॉकी : भारतीय पुरुषों ने तीसरी रैंकिंग का मनाया जश्न, ब्रिटेन को हरा 48 वर्षों बाद सेमीफाइनल में पहुंचे
टोक्यो, 1 अगस्त। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने एफआईएच विश्व रैंकिग में पहली बार सर्वोच्च तीसरी पोजीशन पर पहुंचने का जश्न शानदार अंदाज में मनाया और रविवार को यहां ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हरा टोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में जगह सुरक्षित कर ली।
ओआई हॉकी स्टेडियम की दूधिया रोशनी में नार्थ पिच पर मनप्रीत सिंह की अगुआई में उतरी भारतीय टीम शुरुआत से ही नियंत्रित नजर ऑ रही थी और बेहतर आपसी तालमेल के साथ नियंत्रित पास के आदान-प्रदान के बीच खिलाड़ियों ने ब्रिटिश दल को ज्यादा मौके नहीं दिए, जिसने भारत की ही भांति दो दिन पूर्व विश्व रैंकिग में एक स्थान के फायदे के साथ जर्मनी को पछाड़ पांचवीं पोजीशन हासिल की थी।
भारत के तीन जमीनी गोलों से ब्रिटेन मायूस
आधे समय 2-0 से आगे रही भारतीय टीम के लिए दिलप्रीत सिंह (सातवां मिनट), गुरजंत सिंह (16वां मिनट) व हार्दिक सिंह (57वां मिनट) ने गोल किए। दिलचस्प तो यह रहा कि भारत को मैच में एक भी शॉर्ट कॉर्नर नहीं मिला। ब्रिटेन का इकलौता गोल सैमुअल इयन वार्ड ने तीसरे क्वार्टर के अंतिम क्षण यानी 45वें मिनट में शॉर्ट कॉर्नर के जरिए किया। इसे छोड़ ब्रिटिश खिलाड़ियों ने सात पेनाल्टी कॉर्नर बेकार किए।
भारत की अब बेल्जियम से होगी मुलाकात
भारत की अब तीन अगस्त को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन व रियो खेलों के उपजेता बेल्जियम से मुलाकात होगी। विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज यूरोपीय टीम ने तीसरे क्वार्टर फाइनल में स्पेन को 3-1 से मात दी। उधर दूसरे सेमीफाइनल में विश्व नंबर एक ऑस्ट्रेलिया का सामना जर्मनी से होगा। आज ही दिन में खेले गए अन्य क्वार्टर फाइनल मैचों में ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित समय तक 2-2 की बराबरी के बाद शूट-ऑउट में विश्व नंबर चार नीदरलैंड्स को 3-0 से हराया तो विश्व नंबर छह जर्मनी ने मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना को 3-1 से शिकस्त दी। फाइनल पांच अगस्त को खेला जाएगा।
अंतिम बार म्यूनिख 1972 में सेमीफाइनल तक पहुंची थी भारतीय टीम
वैसे देखा जाए तो रिकॉर्ड आठ बार के पूर्व चैंपियन भारत ने 48 बाद ओलंपिक सेमीफाइनल खेलने का अधिकार पाया है। अंतिम बार 1972 के म्यूनिख ओलंपक खेलों में राष्ट्रीय टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। इसके बाद मांट्रियल (1976) में सेमीफाइनल के पहले ही सफर खत्म हो गया था। चार वर्ष बाद मॉस्को में भारत ने आठवीं व अंतिम बार स्वर्ण अवश्य जीता था, लेकिन तब अमेरिकी गुट के बहिष्कार के चलते स्पर्धा छह टीमों के बीच रॉउंड रॉबिन लीग आधार पर खेली गई थी और शीर्ष दो टीमों-स्पेन व भारत के बीच फाइनल खेला गया था।