1. Home
  2. हिंदी
  3. खेल
  4. अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भागीदारी से मिला आत्मविश्वास, अब 90 मीटर के लक्ष्य पर निगाहें : नीरज चोपड़ा
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भागीदारी से मिला आत्मविश्वास, अब 90 मीटर के लक्ष्य पर निगाहें : नीरज चोपड़ा

अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भागीदारी से मिला आत्मविश्वास, अब 90 मीटर के लक्ष्य पर निगाहें : नीरज चोपड़ा

0
Social Share

टोक्यो, 8 अगस्त। ओलंपिक खेलों में 13 वर्षों बाद राष्ट्रगान की धुन बजाए जाने के सूत्रधार भारतीय भाला प्रक्षेपक नीरज चोपड़ा का कहना है कि अंतराष्ट्रीय स्पर्धांओं में लगातार भागीदारी से उन्हें आत्मविश्वास मिला और यही अनुभव टोक्यो में उनके काम आया। यही वजह थी कि वह बिना किसी दबाव के अपनी स्पर्धा में उतरे। इसके साथ ही उनकी निगाहें अब 90 मीटर का लक्ष्य भेदने पर जा टिकी हैं, जिसमें ओलंपिक रिकॉर्ड भी शामिल है।

गौरतलब है कि नीरज शनिवार को ओलंपिक स्टेडियम की दूधिया रोशनी में 87.58 मीटर के प्रक्षेप से इतिहास रचने के साथ ही भारत के राष्ट्रीय हीरो बन बैठे क्योंकि खेलों के मौजूदा संस्करण में देश का यह पहला स्वर्ण था। इसके साथ ही ओलंपिक खेलों के ट्रैक एंड फील्ड मुकाबलों में भारत ने स्वर्ण के रूप में पहली बार कोई पदक भी जीता। व्यक्तिगत स्पर्धाओं में इसके पूर्व शूटर अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग 2008 में सोने का तमगा जीता था।

‘मैंने कोई दबाव महसूस नहीं किया, अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित था’
पानीपत (हरियाणा) के 23 वर्षीय एथलीट नीरज ने कहा,‘इस वर्ष मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी रही। दो-तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जहां मैंने खेला, उससे मुझे बहुत मदद मिली। इसलिए मुझे ओलंपिक में कोई दबाव महसूस नहीं हुआ और मैं अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम था।’

सैन्य जवान नीरज ने कहा, ‘एक अच्छा पहला थ्रो आपको आत्मविश्वास देता है और अन्य प्रक्षेपकों पर दबाव बनाता है। मेरा दूसरा थ्रो भी बहुत स्थिर था। मेरा व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रक्षेप 88.07 मीटर था। इसलिए मैंने 90.57 मीटर के ओलंपिक रिकॉर्ड को तोड़ने का फैसला किया। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका। फिलहाल अब मेरा लक्ष्य जल्द ही 90 मीटर के लक्ष्य को हासिल करना है।’

‘कठिन मेहनत और लोगों के समर्थन से मैंने हासिल किया यह मुकाम’

नीरज ने कहा, ‘भारत ने ओलंपिक में कई पदक जीते। हमने हॉकी और शूटिंग में स्वर्ण पदक जीते हैं, लेकिन दिवंगत मिल्खा सिंह और पीटी उषा जैसे हमारे कुछ महान एथलीट भरसक प्रयासो के बावजूद पदक हासिल करने में असफल रहे। इसलिए एथलेटिक्स में यह स्वर्ण पदक आवश्यक था। वर्षों के कठिन अभ्यास और लोगों के समर्थन का यह नतीजा था, जिसने आज यह उपलब्धि हासिल करने में मुझे सक्षम बनाया।’

एएफआई से भाला प्रक्षेपकों के और समर्थन की अपील

चोपड़ा की इच्छा है कि भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) और अधिक आक्रामक तरीके से भाला फेंक को बढ़ावा दे क्योंकि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस स्वर्ण पदक के कारण निश्चित रूप से कुछ अलग होगा, विशेष रूप से भाला और एथलेटिक्स के लिए। मुझे उम्मीद है कि एएफआई भाला को और अधिक आक्रामक तरीके से बढ़ावा देगा क्योंकि मुझे लगता है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। चूंकि मैंने आज यह पदक जीता है। मुझे लगता है कि हम कुछ भी कर सकते हैं। मैं एएफआई से अधिक खिलाड़ियों का समर्थन करने की अपील करना चाहता हूं।’

सच पूछें तो चोपड़ा की जीत से हर भारतीय उत्साह से लबरेज हो उठा और सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,खेल मंत्री अनुराग ठाकुर व गृह राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित तमान हस्तियों ने भी चोपड़ा को टोक्यो 2020 में इतिहास लिखने के लिए बधाई दी।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code