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कोरोना पर बोले आरएसएस प्रमुख भागवत – सरकार व आमजन की लापरवाही से बिगड़े हालात

कोरोना पर बोले आरएसएस प्रमुख भागवत – सरकार व आमजन की लापरवाही से बिगड़े हालात

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नागपुर, 16 मई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि कोरोना की पहली लहर कमजोर पड़ने के बाद बाद सरकार, प्रशासन और आमजन ने लापरवाही बरती, जिसके कारण फिर हालात इतने बिगड़ गए। हालांकि उन्होंने देशवासियों से अपील की कि कोरोन से घबराना नहीं बल्कि सकारात्मक रहकर इससे लड़ने की जरूरत है।

कोरोना के बीच यहां  ‘हम जीतेंगे : पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ लेक्चर सीरीज के आखिरी दिन शनिवार को भागवत ने ये बातें कहीं। उन्होंने लोगों से कहा कि यह वक्त एक-दूसरे पर अंगुली उठाने का नहीं बल्कि एकजुट रहने का है। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति का सामना इसलिए कर रहे हैं कि हम सब गफलत में आ गए और सरकार, प्रशासन और लोगों ने डॉक्टरों की चेतावनी के बावजूद पहली लहर के बाद लापरवाही बरती।’

संघ प्रमुख की यह टिप्पणी इसलिए भी अहम है कि कि उनकी विचारधारा से जुड़ी भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पहले दावा कर चुकी है कि उसने सभी प्रोटोकॉल का पालन किया। इसी वर्ष फरवरी में भाजपा ने कोरोना पर जीत की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित किया था।

  • कोरोना की तीसरी लहर से घबराना नहीं है

कोरोना की तीसरी लहर के बारे में भागवत ने कहा, ‘हमें घबराना नहीं है। हम चट्टान की तरह खड़े होंगे। हमें पॉजिटिव रहना है और खुद को कोविड निगेटिव रखने के लिए सावधानी बरतनी होगी।’

भागवत ने इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और मशहूर उर्दू के शायर इकबाल का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के वक्त विंस्टन चर्चिल की डेस्क पर एक कोट लिखा रहता था – ‘इस ऑफिस में निराशावादियों की कोई जगह नहीं है। हम हार की संभावनाओं में रुचि नहीं रखते।’ इसी तरह इकबाल का एक शेर पढ़ते हुए उन्होंने कहा, ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा।’

  • कोविड के खिलाफ लड़ाई भारतीयों के धैर्य की परीक्षा भी है

संघ प्रमुख ने कहा कि कोविड के खिलाफ लड़ाई भारतीयों के धैर्य की परीक्षा भी है। उन्होंने कहा कि सफलता आखिरी नहीं है और नाकामी मृत्यु नहीं है। साहस बनाए रखना ही एकमात्र चीज है, जो मायने रखती है।

उन्होंने कहा, ‘अगर हम थककर हार मान लेते हैं तो ये उस चूहे की तरह होगा, जो सांप के आगे हार मान लेता है। हम ऐसा होने नहीं दे सकते। जितनी निराशा है, उतनी ही आशा भी है। ऐसे लोग हैं, जो अच्छे काम कर रहे हैं और अपनी क्षमता के हिसाब से लोगों की मदद कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘आने वाले वक्त में अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए हमें अभी से इसके लिए तैयार रहना होगा। हमें डरने की जरूरत नहीं है ताकि हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए समय पर तैयार रहें।’

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