बेंगलुरु, 6 अगस्त। कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम (केएमवीएसटीडीसी) घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 12 आरोपितों के नाम और 49 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का विवरण देते हुए एक प्रारंभिक आरोपपत्र दायर किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हालांकि आरोप पत्र में पूर्व मंत्री बी नागेंद्र का नाम नहीं है, जिन्हें घोटाले से संबंधित धन शोघन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले गिरफ्तार किया था।
एसआईटी की आरोप पत्र में नामित लोगों में केएमवीएसटीडीसी के पूर्व अधिकारी भी शामिल हैं, जिनमें पूर्व प्रबंध निदेशक जे जी पद्मनाभ और पूर्व लेखा अधिकारी परशुराम दुर्गन्ननवर भी शामिल हैं। अन्य आरोपितों में फर्स्ट फाइनेंस क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष सत्यनारायण एटकारी, नागेंद्र के सहयोगी नेक्कुंटे नागराज और नागेश्वर राव, नागराज के बहनोई शामिल है।
आरोपितों के खिलाफ आरोप यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में केएमवीएसटीडीसी के खाते से तेलंगाना के विभिन्न खातों में लगभग 94 करोड़ रुपये के अवैध हस्तांतरण से जुड़े हैं। आरोप पत्र में कहा गया है कि ये लेनदेन निगम को बिना किसी सूचना के एसएमएस या पंजीकृत ईमेल आईडी के माध्यम से किए गए थे, जो धोखाधड़ी गतिविधि को छिपाने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयास का संकेत देता है।
एसआईटी के प्रारंभिक निष्कर्षों से आठ मामले दर्ज किए गए और महत्वपूर्ण संपत्ति जब्त की गई, जिसमें 16.83 करोड़ रुपये नकद, 16.25 किलोग्राम सोना, 4.51 करोड़ रुपये मूल्य की लक्जरी कारें और बैंक खाते में कुल 13.72 करोड़ रुपये की धनराशि शामिल है। आरोप पत्र सात खंडों और 3,072 पृष्ठों का एक व्यापक दस्तावेज़ है, जिसमें आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।