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वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, नहीं बनेंगे अटॉर्नी जनरल

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, नहीं बनेंगे अटॉर्नी जनरल

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नई दिल्ली, 26 सितम्बर। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भारत का अगला अटॉर्नी जनरल बनने का केंद्र सरकार का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया है। हालांकि रोहतगी ने इस फैसले के पीछे कोई खास वजह नहीं बताई है।

केके वेणुगोपाल का 30 सितम्बर को समाप्त होगा

गौरतलब है कि केंद्र ने मौजूदा अटॉर्नी जनरल 91 वर्षीय के.के. वेणुगोपाल की जगह लेने के लिए इस माह की शुरुआत में रोहतगी को पेशकश की थी। वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितम्बर को समाप्त होगा। रोहतगी जून, 2014 से जून, 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे। उसके बाद वेणुगोपाल को जुलाई, 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 29 जून को देश के इस शीर्ष विधि अधिकारी के पद के लिए फिर तीन महीने लिए नियुक्त किया गया था।

वेणुगोपाल ने व्यक्तिगत कारणों से पहले ही जताई थी अनिच्छा

केंद्रीय कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वेणुगोपाल ‘व्यक्तिगत कारणों’ से अपनी अनिच्छा जताई थी, लेकिन 30 सितम्बर तक पद पर बने रहने के सरकार के अनुरोध को उन्होंने मान लिया था। अटॉनी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का पहला कार्यकाल 2020 में समाप्त होना था और उन्होंने सरकार से उनकी उम्र को ध्यान में रखकर जिम्मेदारियों से मुक्त कर देने का अनुरोध किया था। लेकिन बाद में उन्होंने एक साल के नये कार्यकाल को स्वीकार कर लिया।

समझा जाता है कि सरकार इस बात को ध्यान में रखकर चाह रही थी कि वह इस पद बने रहें कि वह हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी कर रहे हैं और उनका बार में लंबा अनुभव है। सामान्यत: अटॉर्नी जनरल का तीन वर्षों का कार्यकाल होता है। वरिष्ठ वकील रोहतगी भी उच्चतम न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों में कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी कर चुके हैं।

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