चार धाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, हाईवे की चौड़ाई बढ़ाकर डबल लेन करने की मंजूरी
नई दिल्ली, 14 दिसंबर। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में चार धाम परियोजना को हरी झंडी दे दी है और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर इस परियोजना के तहत बन रहीं सड़कों को ‘डबल लेन’ तक चौड़ा करने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही अब तीन हाईवे को डबल लेन बनाने का रास्ता साफ हो गया है।
शीर्ष अदालत ने पर्यावरण के हित में बनाई निगरानी समिति
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अदालत सेना के सुरक्षा संसाधनों को तय नहीं कर सकती। हाल में बॉर्डर पर सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाते हुए चार धाम परियोजना के बारे में सीधे जानकारी प्राप्त करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का भी गठन किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का पूरा सहयोग प्राप्त होगा।
चीन सीमा पर मजबूत हो सकेंगी रक्षा तैयारियां
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चीन बॉर्डर पर रक्षा तैयारियों को मजबूत किया जा सकेगा। कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को अनुमति दे दी है कि ऋषिकेश से गंगोत्री तक सड़क को 10 मीटर तक चौड़ा किया जा सकता है।
गौरतलब है कि चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया था। तब सड़क की चौड़ाई को 5.5 मीटर तक ही सीमित रखने का आदेश दिया गया था और इसकी वजह पर्यावरण संबंधी चिंताएं थीं। इस पर रक्षा मंत्रालय ने तर्क दिया था कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है। इस क्रम में सड़क को इतना चौड़ा किए जाने की जरूरत है, जिससे टैंक जैसे भारी भरकम हथियारों को आसानी से बॉर्डर के करीब ले जाया जा सके।
12 हजार करोड़ की लागत से बन रही 900 किमी लंबी चार धाम परियोजना
12 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली करीब 900 किमी लंबी चार धाम परियोजना पर्यावरण एवं अन्य कारणों से अदालत में लंबित थी। इस मामले में रक्षा मंत्रालय ने हलफनामा भी दायर किया था। ऑल वेदर चार धाम परियोजना ऋषिकेश को गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ से जोड़ेगी। इनमें से एक हिस्से पर सड़क की चौड़ाई के बारे में उच्चतम न्यायालय में मामला था, जिसके कारण ये आगे नहीं बढ़ पा रही थी।