आरएसएस ने मणिपुर हिंसा पर जताई चिंता, कहा – सरकार को यह मसला तत्काल सुलझाना चाहिए
नई दिल्ली, 17 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मणिपुर में बीते मई महीने से जारी सामुदायिक हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। महाराष्ट्र के पुणे में शनिवार को संपन्न तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक में आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘मणिपुर में हिंसा की स्थिति बेहद चिंताजनक है। इसे सरकार द्वारा अनिवार्य रूप से और तत्काल सुलझाया जाना चाहिए।’
शांति बहाली के लिए मैतेई और कुकी समुदाय के संपर्क में हैं आरएसएस स्वयंसेवक
मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘आरएसएस के स्वयंसेवक मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच विश्वास की कमी को दूर करने के लिए लगातार संवाद कर रहे हैं और संघ को विश्वास है कि मणिपुर में जल्द ही शांति बहाली होगी। जनजीवन सामान्य तरीके से पटरी पर लौट आएगा।’
सनातन सभ्यता एक आध्यात्मिक लोकतंत्र है
वहीं मणिपुर हिंसा के अलावा सनातन विवाद पर डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘जो लोग कहते हैं कि वे सनातन को मिटाना चाहते हैं, उन्हें पहले इस शब्द का अर्थ जानना चाहिए। सनातन धर्म का मतलब धर्म नहीं है बल्कि सनातन सभ्यता एक आध्यात्मिक लोकतंत्र है।’
देश को प्राचीन काल से प्रचलित ‘भारत‘ नाम से ही जाना जाना चाहिए
इंडिया बनाम भारत विवाद पर संघ की प्रतिक्रिया के विषय में मनमोहन वैद्य ने कहा, “देश को ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ ही कहा जाना चाहिए क्योंकि भारत नाम देश के सभ्यतागत मूल्यसे जुड़ा हुआ है।” उन्होंने कहा कि ‘भारत’ प्राचीनकाल से देश का प्रचलित नाम है। भारत दुनिया का इकलौता देश है, जिसके दो नाम हैं। इस खामी को दूर करते हुए देश को प्राचीन काल से प्रचलित नाम से ही जाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद भारत धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ दुनिया में उभरने लगा।
संविधान प्रदत्त आरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है संघ
वैद्य ने आरक्षण के विषय पर संघ के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘यह एक कटु सत्य है कि हमारे समाज ने सदियों से एससी और एसटी जातियों को सम्मान, सुविधाओं और शिक्षा से वंचित रखा गया है। इन्हें समाज की मुख्यधारा में एक साथ लेने के लिए संविधान समर्थित आरक्षण है और संघ संविधान प्रदत्त आरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है। हालांकि आरक्षण की अन्य सभी मांगें राजनीतिक हैं।’