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गुजरात : राजकोट में अवकाशप्राप्त अधिकारी ने फर्जी पंचायत ऑफिस खोलकर बेच दी सरकारी जमीन

गुजरात : राजकोट में अवकाशप्राप्त अधिकारी ने फर्जी पंचायत ऑफिस खोलकर बेच दी सरकारी जमीन

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राजकोट, 19 जुलाई। गुजरात में गोंडल के त्रकुडा गांव में फर्जी तालुका पंचायत का खुलासा हुआ है, जिसमें भू-माफिया ने सरकारी भूखंड को फर्जी लेटर पैड और मुहर का दुरुपयोग करके बेच दिया। मामला सामने आने के बाद जब जांच की गयी तो पता चला कि, ग्राम पंचायत में इस जमीन का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।

गांव के पूर्व तलाटी (पंचायत स्तर के सरकारी अधिकारी) धर्मेश हापलिया पर इस घोटाले का किंगपिन होने का आरोप है। लोगों से प्लॉट आवंटन के लिए 300 रुपये प्रति वर्ग मीटर की रिश्वत ली गई। ग्रामीणों को कम दाम पर जमीन देने का लालच देकर बातचीत की गई और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी आदेश तैयार किए गए।

इस तरह हुआ खुलासा

जब कुछ प्लॉटधारकों ने अपनी जमीन बेचने की कोशिश की, तो जांच में पता चला कि नीलामी प्रक्रिया गलत थी। इसमें बिना प्रस्ताव के आदेश संख्या, बिना तारीख वाला परिपत्र और एक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया।

त्रकुडा के वर्तमान तलाटी भावेश उदेशी को भूखंड आवंटन आदेश दिखाकर ग्राम पंचायत की पुस्तकों का सत्यापन करने के लिए कहा गया था। इस बाबत उन्होंने कहा, ‘पंचायत की पुस्तकों में भूखंड की नीलामी या सनद जारी करने का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। सनद पर वर्ष 2023 अंकित है, मैं उस समय ड्यूटी पर नहीं था। मेरा अभी-अभी तबादला हुआ है।’

नियम ये कहता है

यदि कोई सरकारी भूमि आवंटित की जानी होती है तो भूमि निबटान समिति की बैठक आयोजित की जाती है। लेकिन, इस मामले में ऐसी कोई बैठक नहीं हुई। इस मामले में जब अभिलेखों का सत्यापन किया गया तो ग्राम पंचायत या तालुका पंचायत से कोई अभिलेख प्राप्त नहीं हुआ। आदेश संख्या, सनद और अन्य परिशिष्ट फर्जी साबित हुए।

फर्जीवाड़े में असली कर्माचारी शामिल

जमीन को ग्रामीणों के देने का जो आदेश है, उसपर तारीख अंकित नहीं है। जिस लेटरपैड पर फर्जी आदेश तैयार किया गया है, वह लेटरपैड और उस पर अंकित सिक्के प्रथम दृष्टया सरकारी कागज हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लेटरपैड असली है। इससे साबित होता है कि पहले तालुका पंचायत कार्यालय से कोरे लेटरपैड और सिक्के चुराए गए। बाद में, फर्जी आदेश बनाकर उस पर हस्ताक्षर और मुहर लगाई गई। इसलिए, आशंका जतायी जा रही है कि इस फर्जीवाड़े में असली सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।

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