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नैनीताल : रामनगर वन प्रभाग में गर्जिया मंदिर के पास नजर आया दुर्लभ पक्षी आइबिसबिल

नैनीताल : रामनगर वन प्रभाग में गर्जिया मंदिर के पास नजर आया दुर्लभ पक्षी आइबिसबिल

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नैनीताल, 8 नवम्बर। नैनीताल जिले में रामनगर वन प्रभाग के गर्जिया मंदिर क्षेत्र में कोसी नदी में आइबिसबिल पक्षी नजर आया है, जिसके बाद वन विभाग और पक्षी प्रेमियों में भी खुशी की लहर है।

उल्लेखनीय है कि रामनगर वन प्रभाग वन्यजीवों और पक्षियों की प्रजातियों के लिए देश-विदेश में विख्यात है। यहां पर 600 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं। यहां के जंगल भी वन्यजीवों के साथ ही कई दुर्लभ पक्षियों के लिए अनुकूल हैं। यही वजह है कि अकसर यहां कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी नजर आ जाते हैं।

लंबी चोंच की वजह से खास पहचान रखता है आइबिसबिल

रामनगर के पक्षी प्रेमी संजय छिम्वाल का कहना है कि आइबिसबिल हिमालयी क्षेत्र का अनोखा पक्षी है। यह देखने में काफी खूबसूरत होता है। इसकी लंबी, लाल, नीचे की ओर मुड़ी हुई चोंच इसे खास बनाती है। इसी चोंच की वजह से इसका नाम आइबिसबिल पड़ा है।

ये है आइबिसबिल की खासियत

संजय ने बताया कि यह पक्षी लगभग 40 सेंटीमीटर लंबा होता है। इसका शरीर ग्रे रंग का होता है और इसके सीने पर एक काली पट्टी होती है। आइबिसबिल पक्षी ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों, नदियों और झीलों के किनारे रहना पसंद करता है। यह पक्षी पानी में रहने वाले छोटे-छोटे जीवों को खाकर अपना जीवन व्यतीत करता है। अपनी लंबी चोंच की मदद से यह पत्थरों के नीचे छिपे हुए कीड़ों को भी ढूंढ निकाल लेता है। आइबिसबिल मादा ऊंचाई पर घोंसला बनाती है और एक बार में दो अंडे देती है।

दुर्लभ पक्षियों में गिना जाता है आइबिसबिल

यह दुर्लभ पक्षी कॉर्बेट पार्क के रामगंगा नदी, रामनगर वन प्रभाग के रिंगोड़ा के पास स्थित कोसी नदी और गर्जिया क्षेत्र में पहले भी देखा गया है। यह पक्षी काफी कम संख्या में पाये जाते हैं। इसलिए इसे दुर्लभ पक्षियों में गिना जाता है। यह पक्षी हिमालय की जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

रामनगर वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी दिगंत नायक ने बताया कि रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत पड़ने वाली कोसी नदी में आइबिसबिल पक्षी वन कर्मियों को नजर आया है। आइबिसबिल को देखने के लिए पक्षी प्रेमी हिमालय क्षेत्र, कॉर्बेट पार्क और रामनगर वन प्रभाग आते हैं। इसका दिखना एक अच्छा संकेत है कि जैव विविधता के मामले में रामनगर वन विभाग के जंगल इन पक्षियों के लिए अनुकूल हैं।

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