राज्यसभा में रामगोपाल यादव ने की मांग- प्रतियोगी परीक्षाओं की पुरानी पद्धति को बहाल करे सरकार
नई दिल्ली, 29 जुलाई। समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने सोमवार को राज्यसभा में मांग की कि सरकार संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विषय आधारित प्रश्न पत्र के पारंपरिक प्रारूप पर वापस लौटे। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए यादव ने इसे ‘गंभीर’ करार दिया और तर्क दिया कि शिक्षा का उद्देश्य मुख्य रूप से व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास से जुड़ा होता है। उन्होंने परीक्षा की पुरानी पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने देश को शिक्षाविद, अधिवक्ता और वैज्ञानिक दिए हैं। यादव ने कहा, ‘‘हालांकि, प्रतियोगी परीक्षाओं ने पुरानी पद्धति को छोड़ दिया है।’’
रामगोपाल यादव ने सुझाव दिया कि वर्तमान वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रारूप ही परीक्षा में अनियमितताओं और पेपर लीक के मामलों में वृद्धि का ‘सबसे बड़ा कारण’ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी व्यक्ति की तर्क क्षमताओं का आकलन करने के लिए व्यक्तिपरक प्रश्न महत्वपूर्ण होते हैं। सपा नेता ने चयनित उम्मीदवारों की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, ऐसे उम्मीदवार चयन के बाद एक पत्र का सही मसौदा भी नहीं लिख पाते हैं।’’
उन्होंने अपील की, ‘‘इसलिए मेरा सरकार से अनुरोध है कि इस पद्धति को बदलें और उस पुरानी पद्धति को अपनाएं जिसने डॉक्टर राधाकृष्णन और होमी जहांगीर भाभा जैसे विद्वान और वैज्ञानिक देश को दिए। अब कोई ऐसा विद्वान कहां पैदा हो रहा है देश में। पुरानी व्यवस्था पर आइए, ताकि फिर कुछ विद्वान देश में पैदा हो सकें। देश में वर्तमान पद्धति को बदलने की जरूरत है। पुरानी व्यवस्था को वापस लाइए।’’
सभापति ने यादव को एक अपवाद के तहत इस मुद्दे को उठाने की अनुमति दी थी क्योंकि उन्होंने आवश्यक ऑनलाइन माध्यम के बजाय भौतिक रूप से इस संबंध में नोटिस दिया था। सभापति ने कहा, ‘‘एक अपवाद के रूप में, मैं उन्हें इस मुद्दे को उठाने की अनुमति दे रहा हूं।’’ उन्होंने सदस्यों से ऑनलाइन प्रक्रिया का लाभ उठाने और तकनीकी रूप से उन्नत होने के आह्वान भी किया।