राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश का पत्ता कटा, जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर, 98 नेताओं को मिली जगह
पटना, 24 अगस्त। राज्यसभा के उप सभापति और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सांसद हरिवंश नारायण सिंह को अंततः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा, जब पार्टी ने उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 98 सदस्यीय नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की ओर से जारी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरिवंश को छोड़कर संसद के दोनों सदनों में वर्तमान सदस्यों और बिहार की नीतीश कैबिनेट में शामिल पार्टी के सभी मंत्रियों को जगह दी गई है। सूची में मुख्यमंत्री एवं पार्टी के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार का नाम सबसे ऊपर रखा गया है। ललन के अलावा सूची में अन्य प्रमुख नामों में अनुभवी समाजवादी केसी त्यागी भी शामिल हैं।
(1/2) जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के नवनियुक्त सभी पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई।#JDU #Bihar #NitishKumar #BiharModel#NitishModel pic.twitter.com/Tf5qQUJGH4
— Janata Dal (United) (@Jduonline) August 23, 2023
सूची में शामिल किए गए अन्य सदस्यों की बात करें तो उसमें अन्य पश्चिम बंगाल, झारखंड जैसे राज्यों के अध्यक्ष के अलावा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे कई अन्य प्रदेशों के नेता शामिल हैं। इस संबंध में जदयू के एक नेता ने कहा, ‘पार्टी के सभी सांसद राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदेन सदस्य हैं, लेकिन इसमें राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश का नाम नहीं है।’ लोकसभा में जदयू के 16 सांसद हैं जबकि राज्यसभा में हरिवंश समेत कुल सांसद हैं।
दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में हुई वोटिंग की घटना से नाराज चल रहे नीतीश
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जदयू सांसद और उप सभापति हरिवंश से मॉनसून सत्र के दौरान दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में हुई वोटिंग की घटना से नाराज चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में हुई वोटिंग के दौरान जदयू सांसद और उप सभापति हरिवंश अपने आसन पर नजर आए थे। इसके कारण वह पार्टी की ओर से जारी ह्विप और मोदी सरकार के विरोध में मतदान करने से बच गए थे। जदयू सूत्रों ने उस वक्त कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जदयू सांसद हरिवंश के उस व्यवहार से बेहद नाराज थे।
हरिवंश पर सत्ता पक्ष के पाले में जाने का लगा था आरोप
जदयू ने हरिवंश को पहली बार ह्विप जारी कर विधेयक के विरोध में वोट देने का निर्देश दिया था। जदयू नेताओं का साफ कहना था कि विधेयक पर पार्टी का साथ देने की बजाय वह सत्ता के पाले में चले गए। इससे भले ही उनके खिलाफ ह्विप के उल्लंघन के मामले में काररवाई नहीं हो सकती, लेकिन ऐसा करके हरिवंश ने मोदी सरकार के प्रति अपनी निष्ठा स्पष्ट कर दी है।
इसके अलावा नई संसद के उद्घाटन के समय भी महागठबंधन के सभी सांसदों ने समारोह का बहिष्कार किया था, लेकिन हरिवंश ने पार्टी लाइन से इतर जाते हुए समारोह में शिरकत की थी।