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शीतकालीन सत्र : राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, सिर्फ 40.03 प्रतिशत रही सत्र की उत्पादकता

शीतकालीन सत्र : राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, सिर्फ 40.03 प्रतिशत रही सत्र की उत्पादकता

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नई दिल्ली, 20 दिसम्बर। संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान पर चर्चा के दौरान बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी को लेकर उपजे विवाद और फिर गुरुवार को संसद परिसर में पक्ष-विपक्ष सांसदों के बीच हुई धक्का मुक्की के मुद्दे को लेकर हंगामे के बीच आज राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। उधर लोकसभा की कार्यवाही पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जा चुकी थी।

राज्यसभा के 12 सांसद को नामित गया किया

उच्च सदन की कार्यवाही शुक्रवार को सुबह शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। सभापति जगदीप धनखड़ ने पहले सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित की। दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होने पर ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लिए राज्यसभा के 12 सांसद को नामित किया गया। इनमें सांसद घनश्‍याम तिवाड़ी, भुवनेश्‍वर कलिता, के. लक्ष्‍मण, कविता पाटीदार, संजय कुमार झा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल बालकृष्ण वासनिक, साकेत गोखले, पी. विल्सन, संजय सिंह, मानस रंजन मंगराज और वी. विजयसाई रेड्डी शामिल हैं। इस सप्ताह के शुरुआत में लोकसभा से 27 सदस्यों को जेपीसी के लिए नामित किया गया था।

सभापति ने शीतकालीन सत्र का दिया समापन भाषण

सभापति जगदीप धनखड़ ने सभा के शीतकालीन सत्र में अपने समापन भाषण में कहा, ‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस सत्र का समापन करते हुए हमें गंभीर चिंतन का क्षण देखना पड़ रहा है। ऐतिहासिक संविधान सदन में संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करना था लेकिन इस सदन में हुए कार्य एक अलग कहानी बयां करते हैं।

उच्च सदन की उत्पादकता मात्र 40.03 प्रतिशत

सभापति धनखड़ ने कहा कि इस सत्र की उत्पादकता मात्र 40.03 प्रतिशत है, जिसमें केवल 43 घंटे और 27 मिनट ही प्रभावी कामकाज हुआ। उन्होंने कहा, ‘सांसदों के रूप में हम भारत के लोगों से कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं। संसद की कार्यवाही में लगातार व्यवधान हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता के विश्वास को लगातार कम कर रहे हैं।’

‘उपलब्धियों से कहीं ज्यादा इस सदन की विफलताएं रहीं

जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘इस सत्र में तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक और बॉयलर्स विधेयक 2024 पारित किया गया और भारत-चीन संबंधों पर विदेश मंत्री का बयान सुना, लेकिन इन उपलब्धियों से कहीं ज्यादा इस सदन की विफलताएं रही हैं। संसदीय विचार विमर्श से पहले मीडिया के माध्यम से नोटिसों को प्रचारित करने और नियम 267 का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति हमारी संस्थागत गरिमा को और कम करती है। भारत के 1.4 बिलियन नागरिक हमसे बेहतरी की उम्मीद करते हैं।’

लोकसभा में 54.5 फीसदी रही उत्पादकता

उधर लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों से सदन की मर्यादा बनाए रखने और संसद के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘संसद की गरिमा, शुचिता और मर्यादा बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। माननीय सदस्यों से पुनः आग्रह है कि सदन के नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करें।’

विरोध जारी रहने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे। फिलहाल भारी शोर-शराबे के बीच ओम बिरला ने गत 25 नवम्बर से प्रारंभ हुआ 18वीं लोकसभा का तृतीय सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। इस सत्र में लोकसभा की उत्पादकता 54.5 फीसदी रही।

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