राहुल गांधी का आरोप – महाराष्ट्र के मतदाताओं का डेटा उपलब्ध नहीं कराने का मतलब है कि कुछ गलत है
नई दिल्ली, 7 फरवरी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बार-बार मांग के बावजूद भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की ओर से महाराष्ट्र के मतदाताओं के डेटा उपलब्ध नहीं कराने से लगता है कि कुछ न कुछ गलत है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) की सांसद सुप्रिया सुले के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को पारदर्शिता लानी चाहिए, महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों से जुड़ी पूरे राज्य की मतदाता सूची उपलब्ध कराना उसकी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या यहां की वयस्क आबादी से ज्यादा है।
राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उस पूरे विपक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने महाराष्ट्र में पिछला चुनाव लड़ा था। हम भारत के लोगों के ध्यान में महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में सामने आई कुछ महत्वपूर्ण जानकारी लाना चाहते हैं। हमारी टीम ने मतदाता सूची और मतदान पैटर्न का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया है और हम कुछ समय से इस पर काम कर रहे हैं। दुर्भाग्य से हमें कई अनियमितताएं मिलीं।’’
LIVE: Press briefing by Shri @RahulGandhi, Smt @supriya_sule and Shri @rautsanjay61 in New Delhi. https://t.co/ZzX1zbV8Ba
— Congress (@INCIndia) February 7, 2025
उन्होंने कहा कि देश के लिए, विशेषकर युवा लोगों के लिए जो लोकतंत्र के पक्षधर हैं और उसमें विश्वास करते हैं, इन निष्कर्षों से अवगत होना और समझना आवश्यक है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया कि पिछले साल लोकसभा चुनाव और फिर पांच महीने बाद हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच की अवधि में राज्य में हिमाचल प्रदेश की आबादी के बराबर की संख्या में मतदाता बढ़ गए।’’
उनके अनुसार, लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में पांच महीनों में 39 लाख मतदाता जुड़े, जबकि पिछले पांच वर्षों में 32 लाख मतदाता जुड़े थे। उन्होंने सवाल किए कि ये मतदाता कहां से आए हैं और ये कौन हैं? राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हम आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन विपक्ष के बार-बार मांग के बावजूद निर्वाचन आयोग महाराष्ट्र में मतदाताओं का डेटा उपलब्ध नहीं करा रहा है। इससे पता चलता है कि कुछ गलत हुआ है।’’ उन्होंने दावा किया कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं और इनमें अधिकतर मतदाता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों के हैं।
