हिन्दू लड़कियों के चूड़ी पहनने की दलील देकर हिजाब बैन पर उठे सवाल, कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई जारी
बेंगलुरु, 16 फरवरी। हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में लगातार चौथे दिन गहमा गहमी से भरपूर सुनवाई हुई। मंगलवार को छात्राओं के वकीलों ने कोर्ट के सामने अपनी जोरदार दलीलें रखते हुए मांग की है कि सिर्फ आवश्यक धार्मिक प्रथा के पैमाने पर इसे न तौलकर, विश्वास को देखना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए। इस मामले में बुधवार को भी अपराह्न 2.30 बजे से सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलील – राज्य सरकार का नोटिफिकेशन अवैध
मुस्लिम छात्राओं के वकीलों ने आर्टिकल 25 का हवाला देते हुए इसे जरूरी इस्लामिक प्रथा बताया। सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने राज्य सरकार के नोटिफिकेशन को अवैध ठहराते हुए कहा है कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट में इस संबंध में प्रावधान नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविवर्मा कुमार ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि शिक्षा अधिनियम के अनुसार, यदि हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई नियम लाया जाना है, तो माता-पिता को इसके बारे में कम से कम एक साल पहले सूचित करना आवश्यक है।
मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव विशुद्ध रूप से धर्म पर आधारित
रविवर्मा कुमार ने कहा कि शासनादेश में किसी अन्य धार्मिक चिह्न पर विचार नहीं किया गया है। सिर्फ हिजाब ही क्यों? क्या यह उनके धर्म के कारण नहीं है? मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव विशुद्ध रूप से धर्म पर आधारित है।
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार अकेले हिजाब को क्यों मुद्दा बना रही है। चूड़ी पहने हिन्दू लड़कियों और क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़कियों को स्कूल से बाहर नहीं भेजा जाता है। इस तरह की समिति का गठन लोकतंत्र को मौत का झटका देता है।
कर्नाटक में प्री-यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज भी खुले, कई जिलों में धारा 144 लागू
इस बीच कर्नाटक में आज से ही प्री-यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज भी खुल गए हैं। कई क्षेत्रों से छात्रों और कॉलेज के अधिकारियों के बीच झगड़े की खबरें आई थीं, जब लड़कियों को हिजाब हटाकर कक्षा में बैठने के लिए कहा गया था। इस बीच, बागलकोट, बेंगलुरु, चिक्काबल्लापुरा, गडग, शिमोगा, तुमकुर, मैसूर, उडुपी और दक्षिण कन्नड़ में धारा 144 लागू कर दी गई है।