पीवी नरसिम्हा राव के भाई का कांग्रेस पर हमला, सोनिया गांधी को भी घेरा, बोले – ‘आपने कितना सम्मान दिया?’
नई दिल्ली, 29 दिसम्बर। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की निगम बोध घाट पर की गई अंत्येष्टि और दिवंगत नेता के स्मारक के लिए जगह आवंटित करने के मुद्दे पर कांग्रेस ने भले ही केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के निधन के वक्त किए गए अपने कृत्यों को लेकर कांग्रेस पार्टी खुद ही घिरती नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रणब दा की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी पहले ही गांधी परिवार को कोसते हुए सुना चुकी हैं कि उनके पिता के निधन पर कांग्रेस मुख्यालय में कोई शोक सभा नहीं हुई और न ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी जबकि अब वही कांग्रेस मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह मांग रही है।
सोनिया गांधी तो अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुई थीं – मनोहर राव
उधर पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव के भाई मनोहर राव ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस पर ही निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 20 वर्ष पीछे मुड़कर देखना चाहिए कि उन्होंने अपने नेता पीवी नरसिम्हा राव को कितना सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी तो उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुई थीं।
‘कांग्रेस ने उनके लिए एक प्रतिमा तक का निर्माण नहीं किया’
मनोहर राव ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस को 20 साल पीछे मुड़कर देखना चाहिए कि उन्होंने अपने नेता पीवी नरसिंह राव को कितना सम्मान दिया। यहां तक कि सोनिया गांधी भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उनके लिए एक भी प्रतिमा का निर्माण नहीं किया या उन्हें ‘भारत रत्न’ नहीं दिया। आप अपनी औपचारिकताएं पूरी करें, तब भाजपा निश्चित रूप से डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए भूमि देगी। कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के लिए AICC कार्यालय के द्वार भी नहीं खोले थे।’
‘कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के लिए AICC कार्यालय के द्वार भी नहीं खोले थे‘
मनोहर राव ने कहा, ‘इतने प्रधानमंत्री मरे, लेकिन उन लोगों का नाम ही दिल्ली में नहीं है। मोदी ने प्रधानमंत्रियों को सम्मान दिया और एक ही जगह संग्रहालय बना दिया। इतनी जमीन दी। वहीं मनमोहन सिंह को भी जगह मिलेगी। आप प्रक्रिया तो पूरी करें। कांग्रेस वालों को…यह अच्छा है या यह बुरा है। लेकिन हम तो सब देख रहे हैं। मोदी इसपर कुछ नहीं बोल रहे हैं और वह भारत के विकास के लिए काम कर रहे हैं। हमारे भाई कांग्रेस में थे और हम भी कांग्रेस में हैं। मोदी जी ने उन्हें भारत रत्न दिया।’
‘मनमोहन सिंह के हाथ में कुछ नहीं था, वह स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पाए‘
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में मनमोहन सिंह को हमने एक कार्यक्रम में बुलाया था। हमने उन्हें पीवी नरसिम्हा राव सम्मान दिया। इन्हें गोल्ड मेडल दिया गया। मनमोहन सिंह के साथ हमारा बहुत नजदीक का रिश्ता था। हमारी बातचीत भी होती थी। हमको उनसे कोई दिक्कत नहीं है। 10 साल उन्होंने काम किया, लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं था। वह स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पाए। मनमोहन सिंह बहुत पढ़े लिखे शख्स थे। कांग्रेस वालों ने तो मुख्यालय का दरवाजा तक नहीं खोला था। इससे ज्यादा अपमान क्या हो सकता है। जो कुछ हुआ था, उसपर मैंने दुख प्रकट किया है।’
मनोहर राव ने कहा, ‘मनमोहन सिंह के निधन पर मुझे गहरा दुख है। वह 10 वर्ष प्रधानमंत्री थे। उससे पहले पीवी नरसिम्हा राव की कैबिनेट में वित्त मंत्री थे। उस वक्त उन्हें फ्री हैंड देकर वित्त मंत्री बनाया गया था। मनमोहन सिंह जी उस जमाने में बहुत परिवर्तन लाए थे। उन्होंने हिम्मत से काम किया। प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह जी ने गुरु शिष्य की तरह काम किया। उस जमाने में और आज में जमीन आसमान का फर्क है। आज सब लोग यहां आकर ट्रेड करना और उद्योग लगाना पसंद करते हैं। तब से अब तक कोई नई नीति नहीं आई।’
राव के पौत्र ने भी खूब सुनाया, कहा – राहुल को बोलने का हक नहीं
पीवी नरसिम्हा राव के पौत्र एनवी सुभाष ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या उन्हें राजनीति का यही समय मिला है। कांग्रेस पार्टी ने 20 वर्ष बाद भी कोई सम्मान नहीं दिया। सुभाष ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें बोलने का कोई हक नहीं है। आपके पूछने की वजह क्या है? आपने तो प्रणब मुखर्जी को भी सम्मान नहीं दिया। उन्होंने आगे कहा कि पीवी नरसिम्हा राव ने अपना ज्यादातर वक्त दिल्ली में बिताया, फिर भी उनका मेमोरियल हैदराबाद में बनाने की कोशिश कांग्रेस पार्टी ने की।
नरसिम्हा राव का पार्थिव शरीर दिल्ली से हैदराबाद भेज दिया गया था
उल्लेखनीय है कि 2004 में यूपीए की सरकार के दौरान ही पीवी नरसिम्हा राव का निधन हुआ था। उनका परिवार मांग कर रहा था कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करवाया जाए और एक स्मारक बनवाया जाए। उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने परिवार को स्मारक बनवाने का आश्वासन देकर पार्थिव शरीर को हैदराबाद ले जाने को कहा। उनका परिवार मान गया, लेकिन 10 साल के शासन के दौरान न तो उनका स्मारक बना और न ही ‘भारत रत्न’ दिया गया।
गौर करने वाली बात यह भी थी कि अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह उनके शव को कांग्रेस मुख्यालय में भी रखने नहीं दिया गया था। जानकारों का कहना है कि गांधी परिवार नहीं चाहता था कि आर्थिक सुधारों का क्रेडिट पीवी नरसिम्हा राव को दिया जाए। इसके अलावा गांधी परिवार यह भी मानता था कि अयोध्या में बाबरी का ढांचा गिराने के पीछे उनकी भी मिलीभगत थी।