पंजाब : अकाली दल और बसपा ने 25 वर्षों बाद फिर मिलाया हाथ, सीटों का बंटवारे पर भी लगी मुहर
चंडीगढ़, 12 जून। पंजाब में अगले वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के पहले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच शनिवार को चुनावी गठबंधन हो गया। अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने इस गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा कि पंजाब में दोनों पार्टियां मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी।
गौरतलब है कि दोनों पार्टियों के बीच 25 वर्षों बाद चुनावी गठबंधन हुआ है। अकाली दल और बसपा ने इससे पहले 1996 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था, तब बसपा की कमान कांशीराम के हाथ में थी और यूपी में मायावती मुख्यमंत्री बन चुकी थीं।
उस चुनाव में पंजाब में अकाली-बसपा गठबंधन को जोरदार सफलता मिली थी और राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से 11 सीटें इस गठबंधन ने झटकी थीं। अकाली दल को 8 और बसपा को 3 सीटें मिली थी। लेकिन उसके बाद अकाली दल ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था, जो किसान आंदोलन के बीच विलगाव होने तक 2020 तक चलता रहा।
सुखबीर बोले –पंजाब को कांग्रेस से मुक्त बनाना है
सुखबीर ने गठबंधन का एलान करते हुए कहा, ‘यह पंजाब की राजनीति में एक नया दिन है। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी अगले वर्ष पंजाब विधानसभा चुनाव और भविष्य में होने वाले चुनाव एक साथ लड़ेंगे। राज्य को कांग्रेस से मुक्त बनाना है।’ उन्होंने यह भी कहा कि 117 सीटों में से बसपा 20 सीटों पर लड़ेगी जबकि अकाली दल के उम्मीदवार शेष 97 सीटों पर जोर आजमाएंगे।
इस बार गठबंधन नहीं टूटेगा : बसपा सांसद सतीश मिश्र
इस मौके पर उपस्थित बसपा सांसद सतीश मिश्र ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन किया गया है, जो पंजाब की सबसे बड़ी पार्टी है। 1996 में बसपा और अकाली दल दोनों ने संयुक्त रूप से लोकसभा चुनाव लड़ा और 13 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार नहीं गठबंधन टूटेगा।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था और एनडीए से भी खुद को अलग कर लिया था। इस बिखराव के बाद राज्य में यह नया चुनावी समीकरण है।