मनरेगा का नाम बदलने पर प्रियंका गांधी ने जताई नाराजगी, लोकसभा में बोलीं – ‘महात्मा गांधी मेरे परिवार से नहीं हैं, लेकिन..’
नई दिल्ली, 16 दिसम्बर। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त करने वाले नए कानून ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक’ 2025 पर सम्पूर्ण विपक्ष ने नाराजगी जताई है। इसी क्रम में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में कहा कि यह अभियान पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण भारत को रोजगार देने में और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सक्षम बनाने में मददगार रहा है।
LIVE: Smt @priyankagandhi ji speaks in the Parliament.
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प्रियंका गांधी ने कहा, ‘यह इतना क्रांतिकारी कानून है कि, जब इसे बनाया गया तो सदन में मौजूद सभी दलों ने इसे सहमति दी थी। इसके कारण गरीब से गरीब लोगों को 100 दिन का रोजगार मिलता है।’ योजना का नाम बदलने पर उन्होंने कहा, ‘महात्मा गांधी मेरे परिवार से नहीं हैं, लेकिन मेरे परिवार जैसे ही हैं और पूरे देश की यही भावना है।’
नया कानून 73वें संविधान संशोधन के विपरीत
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका ने आगे कहा, ‘मुझे नए कानून पर आपत्ति है क्योंकि मनरेगा के तहत हमारे गरीब भाई-बहनों को मिलने वाले कानूनी गारंटी देना अनिवार्य होता है और इसकी मांग के अनुसार ही केंद्र सरकार पैसा आवंटित करती है। लेकिन, नए कानून में केंद्र सरकार पहले से बजट निर्धारित कर सकती है, जिससे संविधान के 73वें संशोधन (पंचायती राज) को नजरअंदाज किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘ग्राम सभाओं का अधिकार कमजोर किया जा रहा है। हमारे संविधान की मूल भावना है कि हर व्यक्ति के हाथों में शक्ति होनी चाहिए। यही मूल भावना पंचायती राज में है और नया अधिनियम उसी मूल भावना का विरोध कर रहा है। इस विधेयक से रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर हो रहा है और यह संविधान के विपरीत है।’
राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा भार, रोजगार के दिन बढ़े..लेकिन वेतन नहीं
प्रियंका गांधी ने कहा, ‘मनरेगा में 90 प्रतिशत अनुदान केंद्र सरकार से आता था और नए विधेयक में कुछ राज्यों को सिर्फ 60 प्रतिशत अनुदान ही केंद्र की ओर से मिलेगा। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भार पड़ेगा। इस विधेयक के द्वारा केंद्र का नियंत्रण बढ़ाया जा रहा है और जिम्मेदारी घटाई जा रही है।’ कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि नए कानून में सरकार ने रोजगार के दिन को 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है, लेकिन मजदूरों का वेतन बढ़ोत्तरी की कोई बात नहीं है।
मोदी सरकार में योजनाओं के नाम बदलने की सनक है। जब-जब नाम बदला जाता है, तब सरकार का पैसा खर्च होता है।
ये योजना महात्मा गांधी जी के नाम पर है, वे हमारे राष्ट्रपिता हैं और उनका अपमान नहीं होना चाहिए।
⦿ जब यह कानून इस सदन में बना तो किसी राजनीतिक दल ने असहमति नहीं जताई। सबकी… pic.twitter.com/hD8t7aoMZB
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हर योजना का नाम बदलने की सनक समझ नहीं आती
प्रियंका ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘हर योजना का नाम बदलने की सनक समझ नहीं आती। जब-जब यह किया जाता है, तो केंद्र सरकार को ही पैसे खर्च करने पड़ते हैं। बिना चर्चा और सदन की सलाह लिए जल्दी-जल्दी में विधेयक को पास नहीं होना चाहिए। सरकार को यह विधेयक वापस लेकर एक नया विधेयक पेश करना चाहिए।’

शशि थरूर बोले – महात्मा गांधी का नाम हटाना अनैतिक
प्रियंका गांधी ने नए कानून का तीखा विरोध किया तो उनके बाद बोलने खड़े हुए तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी लंबे समय बाद पार्टी के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा, ‘मैं मनरेगा स्कीम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम बदलने के खिलाफ हूं। उन कारणों पर मैं विस्तार से नहीं जाऊंगा क्योंकि पूर्व के वक्ताओं ने उस पर काफी बोला है।’
‘देखो ओ दिवानों..ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम ना करो’
शशि थरूर ने कहा, “मैं ‘जी राम जी’ विधेयक का विरोध करता हूं। मेरी पहली शिकायत यह है कि इसका नाम बदला जा रहा है, जो पहले महात्मा गांधी के ऊपर था। महात्मा गांधी का राम राज्य का विजन राजनीतिक आयोजन नहीं था बल्कि सामाजिक सुधार था। वह चाहते थे कि हर गांव सशक्त हो और राम राज्य जैसी स्थिति बने। उनके नाम को हटाना गलत है और नैतिकता के खिलाफ है। मेरे बचपन में गाते थे – देखो ओ दिवानों ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम ना करो।”
I would like to oppose the introduction of the proposed bill, the VB–G RAM G Bill, which represents a deeply regrettable and retrograde step for our nation and for our nation’s commitment to the welfare of its most vulnerable citizens.
My first objection, as with others, is the… pic.twitter.com/oUKoGulN4L
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40 फीसदी बजट सीधे राज्य सरकार के हिस्से में डालना भी गलत
कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसके अलावा 40 फीसदी बजट सीधे राज्य सरकार के हिस्से में डालना भी गलत है। इससे उन राज्यों के लिए संकट की स्थिति पैदा होगी, जिनके पास राजस्व का संग्रह कम है। ऐसे राज्य जो पहले ही किसी तरह की मदद पर निर्भर हैं, आखिर वे कैसे इस स्कीम के लिए फंडिंग कर पाएंगे।
थरूर का पार्टी के स्टैंड से मिलता हुई रुख लंबे समय बाद दिखा
वस्तुतः कांग्रेस सांसद का पार्टी के स्टैंड से मिलता हुआ यह रुख लंबे समय बाद देखने को मिला है। वह कई बार पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस की लगातार तीन मीटिंगों से गैरहाजिर रहे हैं। ऐसे में उनके भविष्य को लेकर कयास लगते रहे हैं। इसलिए जब वह संसद में इस पर बोलने खड़े हुए और कांग्रेस का समर्थन किया तो यह महत्वपूर्ण था। उन्होंने साफ कर दिया कि वह वैचारिक तौर पर अब भी अडिग हैं।
