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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा – देश का विकास अब अधिक समावेशी, क्षेत्रीय असमानताएं भी कम

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा – देश का विकास अब अधिक समावेशी, क्षेत्रीय असमानताएं भी कम

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नई दिल्ली, 14 अगस्त। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार की शाम राष्ट्र को संबोधित किया। देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति ने इस अवसर पर देश की आर्थिक तरक्की, महिला अधिकार और पर्यावरण समेत तमाम विषयों पर अपने विचार रखे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं।

‘हम भारतीयों ने संदेह जताने वालों को गलत साबित किया

राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में दुनिया की मदद करने का श्रेय भारत को दिया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित किया। इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं, बल्कि समृद्ध भी हुईं।’

द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों से कहा कि 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है।

देश में महिला अधिकार और उनके सशक्तिकरण पर उन्होंने कहा, ‘अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया।’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है।’

जल, मिट्टी व जैविक विविधता का संरक्षण भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य

पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए मुर्मू ने कहा, ‘आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं, तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।’

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