
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वक्फ संशोधन विधेयक को दी मंजूरी, अस्तित्व में आया नया कानून
नई दिल्ली, 5 अप्रैल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी प्रदान कर दी है। राष्ट्रपति मुर्मु के हस्ताक्षर के साथ ही वक्फ संशोधन बिल अब नए कानून के रूप में अस्तित्व में आ गया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से शनिवार रात जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘संसद से पास वक्फ संशोधन अधिनियम को पांच अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है और इसे आम जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है।’ राष्ट्रपति मुर्मू ने इसके साथ ही मुसलमान वक्फ निरसन विधेयक, 2025 को भी अपनी मंजूरी दे दी।
अब पूरे देश में नया वक्फ कानून लागू हो जाएगा
इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा से वक्फ (संशोधन) विधेयक गरमागरम बहस के बाद पारित कर दिया था। नए कानून का उद्देश्य पक्षपात, वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग और वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण को रोकना है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने कहा है कि यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है। वहीं, नए कानून को कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी (आप) ने अलग-अलग याचिकाओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
मुसलमान वक्फ अधिनियम,1923 निरस्त
उल्लेखनीय है कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट के बाद लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित हितधारकों के सशक्तिकरण, सर्वेक्षण, पंजीकरण और मामले के निबटान की प्रक्रिया में सुधार लाना है। इसके साथ ही मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को भी निरस्त कर दिया गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रपति से मिलने का मांगा समय
गौर करने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ संशोधन विधेयक को ऐसे समय मंजूरी दी है, जब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस मसले पर उनसे मिलने का समय मांगा था। बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्द्दीदी की ओर से राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा गया, ‘विधेयक के जरिए किए गए संशोधन में ऐसे बदलाव शामिल हैं, जो वक्फ संस्थान के प्रशासन और स्वायत्तता को प्रभावित करते हैं। आपसे मिलने का हमारा उद्देश्य हाल ही में पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2025 और देश भर में मुस्लिम समुदाय के लिए इसके निहितार्थ के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करना है।’ बोर्ड ने दावा किया कि यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश के मुसलमानों पर हमला है।