
तुर्किये व अजरबैजान पर एक्शन की तैयारी : दोनों देशों से आयात प्रतिबंध की मांग
नई दिल्ली, 14 मई। कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) सहित कुछ अन्य संगठनों ने तुर्किये और अजरबैजान पर आयात प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इन दोनों देशों ने बीते दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े अघोषित युद्घ के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया था। पाकिस्तान ने तो भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तुर्किये के ड्रोनों का इस्तेमाल किया था।
आश्चर्यजनक यह है कि चीन के बाद पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने वाले दूसरे सबसे बड़े देश तुर्किये ने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
फिलहाल, कई संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि तुर्किये और अजरबैजान पर प्रतिबंध लगाने की सही समय है। भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए गए ड्रोनों की उत्पत्ति के बारे में खुलासे के बाद राष्ट्रीय भावना से प्रेरित होकर देश की संगमरमर राजधानी माने जाने वाले राजस्थान के उदयपुर के संगमरमर व्यापारियों ने केंद्र सरकार से तुर्किये से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
CAIT ने भारतीय व्यापारियों और नागरिकों से तुर्किये और अज़रबैजान की यात्रा का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देशों के विरोध में उठाया गया है। CAIT ने पहले ही चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए एक सफल अभियान चलाया है।
CAIT के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि यात्रा बहिष्कार तुर्किये और अज़रबैजान की अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्रों को काफ़ी नुकसान पहुंचा सकता है। 2024 के आँकड़ों के अनुसार, तुर्किये में भारत से 300,000 सहित लगभग 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटक पहुंचे। पर्यटन राजस्व में $61.1 बिलियन का योगदान हुआ। अकेले भारतीय पर्यटकों ने लगभग $291.6 मिलियन खर्च किए।
RSS से जुड़े संगठन ने की तुर्किये पर प्रतिबंध लगाने की मांग
वहीं राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने पाकिस्तान के साथ तुर्किये के ‘नापाक गठबंधन’ के कारण सरकार से उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने, उसके साथ नागरिक उड्डयन संपर्क निलंबित करने, वहां के लिए पर्यटन को कमतर करने और राजनयिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया।
एसजेएम ने भारत के लोगों से तुर्किये की यात्रा नहीं करने और देश के सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए तथा राष्ट्रहित में वहां के उत्पादों का बहिष्कार करने की भी अपील की। एसजेएम ने यह अपील भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सैन्य संघर्ष चलने के बाद बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में की है। संघर्ष में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तुर्किये के ड्रोनों का इस्तेमाल किया था।
एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह जानकर आश्चर्य होता है कि चीन के बाद पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने वाले दूसरे सबसे बड़े देश तुर्किए ने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘यह रक्षा सहयोग केवल व्यावसायिक नहीं है, यह वैचारिक है जिसका लक्ष्य दक्षिण एशिया की स्थिरता को निशाना बनाना और पाकिस्तान के सैन्य दुस्साहस को बढ़ावा देना है।’’ उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के इस ‘‘नापाक गठबंधन’’ की एसजेएम निंदा करता है।
महाजन ने कहा, ‘‘स्वदेशी जागरण मंच परस्पर सम्मान और संप्रभुता पर आधारित शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सिफारिश करता है कि भारत सरकार तुर्किये पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, नागरिक विमानन संपर्क निलंबित करे, उस देश के लिए पर्यटन को हतोत्साहित करे तथा तुर्किये के साथ राजनयिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तुर्किये में फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू करने वाले शुरुआती देशों में से एक था। उसने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, सेना की चिकित्सा टीम, फील्ड अस्पताल और चिकित्सा आपूर्ति, जनरेटर, टेंट और कंबल सहित 100 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी थी।’’
ऐसा लगता है कि तुर्किए भारत की उदार और मानवीय सहायता को भूल गया है। एकजुटता और सद्भावना की इन पहलों के बावजूद तुर्किये ने राष्ट्रीय सुरक्षा हित के मामलों में भारत के विरोधियों का साथ देना चुना है। विश्वासघात के इस मामले से नैतिक स्पष्टता और रणनीतिक दृढ़ता से निपटा जाना चाहिए। महाजन ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि तुर्किये ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा तक नहीं की।