राज्यसभा में विपक्ष की नारेबाजी के बीच पीएम मोदी का जवाब – ‘जितना कीचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा’
नई दिल्ली, 9 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब दिया। हालांकि पीएम मोदी के भाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर नारेबाजी की और विपक्ष की ओर से लगातार ‘मोदी-अडानी भाई-भाई’ के नारे भी लगाए जाते रहे।
‘हमारी सफलता में आपके योगदान को भी नहीं भुलाया नहीं जा सकता‘
पीएम मोदी ने ऐसे में अपने भाषण के दौरान विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि ‘उनके पास कीचड़ था और मेरे पास गुलाल। जिसके पास जो भी था, उसे उसने उछाला। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही खिलेगा। हमारी सफलता में आपके योगदान को भी नहीं भुलाया नहीं जा सकता है।’
प्रधानमंत्री ने इस दौरान किसी का नाम लिए बिना कहा कि सदन में कुछ सांसदों की भाषा और व्यवहार भारत के लिए निराशा पैदा करती है। पीएम ने कहा, ‘इस सदन में जो कहा जाता है, देश उसे बहुत ध्यान से सुनता है। कुछ सांसद इस सदन का अपमान करते हैं।’
मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम मोदी का जवाब
पीएम मोदी ने कहा, ‘कल खड़गे जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी बार-बार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। मैं उन्हें कहना चाहता हूं – मैं आता हूं, वह तो आपने देखा, लेकिन आप यह भी देखे कि वहां 1 करोड़ 70 लाख जनधन बैंक अकाउंट खुले हैं। सिर्फ कलबुर्गी में ही 8 लाख से ज्यादा जनधन खाते खुले हैं।’
पीएम ने कहा, ‘इसे देखकर उनकी (मल्लिकार्जुन खड़गे) पीड़ा मैं समझता हूं। आप दलित की बात करते हैं। यह भी देखें कि उसी जगह दलित को चुनाव में जीत भी मिली। अब आपको जनता ही नकार दे रही है तो आप उसका रोना यहां रो रहे हैं।’
Watch Hon'ble Prime Minister Shri @narendramodi ji's reply to the Motion of Thanks on President's Address in the #RajyaSabha today.@rashtrapatibhvn#Parliamenthttps://t.co/wanb9yFXm3
— Office of Kiren Rijiju (@RijijuOffice) February 9, 2023
पीएम मोदी के भाषण की और अहम बातें
- निर्णय लेने में महिलाओं की भूमिका बढ़ाई जानी चाहिए, हमारी सरकार उनके सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है।
- विगत में छोटे और सीमांत किसानों की आवाज नहीं सुनी गई, हमारी सरकार उनके कल्याण के लिए काम कर रही है।
- कांग्रेस की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियां वोट बैंक की राजनीति पर आधारित हैं।
- अगर कांग्रेस ने नेक इरादे से आदिवासियों के लिए काम किया होता तो मुझे 21वीं सदी के तीसरे दशक में इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती।
- हमने ‘आजादी का अमृत काल’ के दौरान सभी को लाभान्वित करने के लिए योजनाओं में संतृप्ति स्तर हासिल करने का फैसला किया है, यही सच्ची पंथनिरपेक्षता है।
- केवल इरादा व्यक्त करने से काम नहीं चलता बल्कि गति, दिशा और विकास का परिणाम मायने रखता है।
- हमारी सरकार की नीतियां देश के सामने मौजूद समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने पर केंद्रित हैं।
- पिछले कुछ वर्षों में ‘जन धन, आधार और मोबाइल’ त्रयी का उपयोग कर डीबीटी के जरिए लाभार्थियों को 27 लाख करोड़ रुपये भेजे गये।
- हमारी सरकार ने पिछले तीन-चार वर्षों में 11 करोड़ घरों में पेयजल की आपूर्ति की जबकि 2014 से पहले ऐसे घरों की संख्या केवल तीन करोड़ थी।
- 2014 तक आधी से ज्यादा आबादी बैंकिंग सुविधाओं से वंचित थी, पिछले 9 वर्षों में 48 करोड़ बैंक खाते खुले।