पीएम मोदी की राहुल गांधी को सलाह – ‘विदेश नीति समझनी है तो ये किताब पढ़ लीजिए’
नई दिल्ली, 4 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गांधी परिवार पर काफी हमलावर दिखे और राजीव गांधी, सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने इस दौरान सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर जोरदार हमले किए। हालांकि इस दौरान वह कुछ हल्के-फुल्के अंदाज में भी नजर आए।
पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा सोमवार को दिए गए बयान को लेकर उन पर निशाना साधा और उन्हें एक किताब पढ़ने की सलाह दे डाली। पीएम मोदी ने कहा, ‘कुछ लोगों को लगता है कि वह जब तक फॉरेन पॉलिसी नहीं बोलते तब तक वह मैच्योर नहीं लगते हैं। उन्हें लगता है फॉरेन पॉलिसी का जिक्र तो करना ही चाहिए, फिर भले ही उस से देश का नुकसान क्यों ना हो जाए।’
‘JFK’s Forgotten Crisis पढ़ लीजिए, फॉरेन पॉलिसी समझ आ जाएगी‘
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उन्हें सच में फॉरेन पॉलिसी में रुचि है और फॉरेन पॉलिसी को समझना है और आगे जाकर कुछ करना है तो उन्हें एक किताब जरूर पढ़नी चाहिए। इससे उन्हें कब क्या बोलना है यह समझ हो जाएगी। उस किताब का नाम है, JFK’s Forgotten Crisis।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस किताब में कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र है। इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बीच हुई चर्चाओं का विस्तार से वर्णन है। जब देश ढेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था, इस किताब के माध्यम से सामने आ रहा है, इसलिए उन्हें यह किताब पढ़नी चाहिए।’
गौरतलब है कि 2015 में रिलीज हुई JFK’s Forgotten Crisis को दिग्गज अमेरिकी राजनीतिक पंडित ब्रूस रिडेल ने लिखा है। इस किताब में चीन-भारत युद्ध में अमेरिका की भागीदारी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की भारत में व्यक्तिगत रुचि पर कुछ मनोरंजक विवरण दिए गए हैं।

पीएम मोदी द्वारा अपने भाषण के दौरान इस किताब का जिक्र करना इसीलिए दिलचस्प है कि इस किताब के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति ने तब के पंडित नेहरू के अमेरिकी दौरे को सबसे खराब दौरा बताया था। इस किताब में दावा किया गया है कि पंडित नेहरू कैनेडी की पत्नी में काफी दिलचस्पी दिखा रहे थे। किताब के अनुसार कैनेडी ने कथित तौर पर यह कहा था कि नेहरू उनसे ज्यादा उनकी पत्नी जैकी और उनकी 27 साल की बहन से बातचीत करने में दिलचस्पी दिखा रहे थे।
पीएम ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को भी नहीं छोड़ा
गांधी परिवार पर हमले के दौरान पीएम मोदी ने राजीव गांधी की वो बात याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक रुपया जाता है तो सिर्फ 15 पैसा ही पहुंचता है। पीएम मोदी ने कहा, ‘बहुत गजब की हाथ की सफाई थी। आखिर ये पैसा जाता कहां था? इसके बाद उन्होंने सोनिया गांधी की उस बात का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को बोरिंग बताया था।
‘..जब दिल्ली से एक रुपया जाता था तो नीचे तक 15 पैसे ही पहुंचते थे‘
पीएम मोदी ने कहा, “हमारे देश में एक पीएम ऐसे थे, जिन्होंने एक समस्या की पहचान की और कहा कि जब दिल्ली से एक रुपया जाता था तो नीचे तक 15 पैसे ही पहुंचते थे। 15 पैसे किसे मिल रहे थे, ये हर कोई समझ सकता है…उस समय पंचायत स्तर से लेकर केंद्रीय स्तर तक एक ही पार्टी थी। हमने समाधान खोजने की कोशिश की और हमारा मॉडल है ‘बचत भी विकास भी’, ‘जनता का पैसा जनता के लिए’।”

‘हमारे कार्यकाल में 40 करोड़ रुपये सीधे जनता के खाते में जमा किए‘
उन्होंने कहा, ‘हमने जनधन, आधार की जैन ट्रिनिटी बनाई और डीबीटी से देना शुरू किया और हमारे कार्यकाल में 40 करोड़ रुपये सीधे जनता के खाते में जमा किए। एक पिछली सरकार थी। 10 करोड़ लोग जिनका भारत में जन्म भी नहीं हुआ, वे योजनाओं का फायदा ले रहे थे। हमने इनको हटाया और असली लाभार्थियों को खोज-खोज के लाभ पहुंचाने का अभियान चलाया।’
गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी
पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए कहा – ‘जो लोग गरीबों की झोपड़ी में फोटो सेशन कराते हैं, उन्हें संसद में गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी। दरअसल, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जब राहुल गांधी से पत्रकारों ने पूछा कि उन्हें यह अभिभाषण कैसा लगा तो उन्होंने इसे बोरिंग बताया था। पीएम मोदी ने निशाना साधते हुए कहा, ‘जब ज्यादा बुखार चढ़ जाता है, तब भी लोग बोलते हैं और ज्यादा हताशा में भी ऐसे बयान देते हैं।
सोनिया गांधी पर क्या बोले
सोनिया गांधी पर हमला करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘पहले अखबारों की सुर्खियां घोटालों और भ्रष्टाचार से जुड़ी होती थीं। 10 साल बीत गए, करोड़ों रुपये बचाए गए, जिसका इस्तेमाल जनता के लिए किया गया. हमने कई कदम उठाए हैं। बहुत सारा पैसा बचाया है, लेकिन हमने उस पैसे का इस्तेमाल ‘शीशमहल’ बनाने में नहीं किया है, बल्कि हमने उस पैसे का इस्तेमाल देश बनाने में किया है।”
