नई दिल्ली, 18 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर जोर दिया है, जो भारत को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में अग्रणी बना सके। उन्होंने टीकों और दवाओं के लिए आवश्यक अवयवों के देश में उत्पादन पर जोर देते हुए कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अभी बहुत कुछ करना है।
फार्मास्युटिकल क्षेत्र के पहले वैश्विक नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन
पीएम मोदी ने गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से फार्मास्युटिकल क्षेत्र के पहले वैश्विक नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग देश के आर्थिक विकास का एक प्रमुख घटक है। उन्होंने कहा कि भारतीय औषधियों की उच्च गुणवत्ता और कम कीमतों पर उपलब्धता से भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र में वैश्विक अभिरुचि बढ़ी है। भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र में वर्ष 2014 के बाद से 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है।
Addressing the Global Innovation Summit. https://t.co/w9k0406FNe
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2021
भारत को अब दुनिया की फार्मेसी कहा जाने लगा है
कोविड महामारी के दौरान फार्मास्युटिकल क्षेत्र की भूमिका का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय दवा उद्योग ने इस चुनौती को बखूबी निभाया। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास की वजह से अब भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाने लगा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्यात किया और लगभग 100 देशों को कोविड के साढ़े छह करोड़ टीके निर्यात किए गए।
उन्होंने कहा कि भारत संपूर्ण मानव जाति की भलाई में विश्वास करता है। भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता वाले वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का एक बड़ा समूह उपलब्ध है।
मांडविया बोले – फार्मास्युटिकल व चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
इस अवसर पर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने फार्मास्युटिकल क्षेत्र के लिए उत्पाद से जुड़ी विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की है, जो देश को फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगीं।
देश-विदेश के 40 से अधिक विशेषज्ञों की भागीदारी
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में 12 सत्र होंगे और इसमें देश-विदेश के 40 से अधिक विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। शिखर सम्मेलन में नियामक वातावरण, नवाचार के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने, उद्योग और अकादमिक क्षेत्र के बीच सहयोग और नवाचार बुनियादी ढांचे सहित कई विषयों पर विचार-विमर्श होगा।
