सदियों का औपनिवेशिक शासन भारतीयों की लोकतांत्रिक चेतना को दबा नहीं सका : पीएम मोदी
नई दिल्ली, 11 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तौर-तरीकों और संबंधित व्यवस्था को और बेहतर बनाने की जरूरत पर बल दिया है। इसमें समावेश, पारदर्शिता और मानवीय गौरव को और बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही लोकतंत्र में ही नागरिकों की आकांक्षाएं पूरी हो सकती है और मानवीयता का विकास हो सकता है।
सभी लोकतांत्रिक देशों के प्रयासों में भागीदार बनने के लिए भारत तैयार
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आहूत लोकतंत्र पर शिखर सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन पीएम मोदी ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भारत इन मूल्यों को बढ़ावा देने के कार्य में सभी लोकतांत्रिक देशों के प्रयासों में भागीदार बनने के लिए तैयार है।
पीएम मोदी ने कहा कि सदियों के औपनिवेशिक शासन भारतीयों की लोकतांत्रिक चेतनाओं को कभी नहीं दबा सके। भारत की स्वतंत्रता से भारतीयों में फिर से लोकतांत्रिक चेतना जागी है, जिससे पिछले 75 वर्षों में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण की यह गाथा सर्वोपरि रही है।
बहुदलीय चुनाव, स्वतंत्र न्यायपालिका व निष्पक्ष मीडिया लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की गाथा ने विश्व को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि लोकतंत्र लोगों की आकांक्षाएं पूरी कर सकता है और उसने ऐसा कर दिखाया है और ऐसा आगे भी जारी रहेगा। उनका यह भी कहना था कि बहुदलीय चुनाव स्वतंत्र न्यायपालिका और निष्पक्ष मीडिया लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग है। हालांकि नागरिकों और समाज में लोकतंत्र के प्रति चेतना ही इस प्रणाली को मजबूती प्रदान करती है।