1989 अपहरण केस – पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद ने यासीन मलिक सहित 4 आरोपितों को पहचाना
जम्मू, 16 जुलाई। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद अपने अपहरण (आठ दिसंबर, 1089) मामले में 30 वर्षों बाद अदालत में पेश हुईं। बंद कमरे में रुबैया ने इस मामले में करीब छह घंटे तक अपने बयान दर्ज करवाए। इस दौरान रुबैया ने जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के सरगना यासीन मलिक समेत चार आतंकियों की पहचान की और अदालत को बताया कि उनके अपहरण में ये चार लोग शामिल थे, जिन्हें वह पहचानती हैं।
पीडीपी प्रवक्ता अनिल सेठी ने बताया कि रुबैया सईद ने न्यायालय में यासीन मलिक और अन्य अपहरणकर्ताओं की पहचान कर ली है। न्यायालय में शुक्रवार को रुबैया सईद का बयान दर्ज किया गया। न्यायालय की कार्यवाही गोपनीय रूप से की जा रही है। मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को की जाएगी।
‘मुझे बस से बाहर फेंकने की दी गई धमकी‘
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया ने इस मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए यासीन मलिक को पहचान लिया। उन्होंने जज से कहा, ‘यही वह शख्स है और इसका नाम यासीन मलिक है। इसने ही मुझे धमकी थी कि यदि उसके बताए अनुसार चलने से मैंने इनकार किया तो मिनी बस से उठाकर फेंक देगा।’ बाद में रुबैया ने फोटो के जरिए भी मलिक की शिनाख्त की।
सीबीआई ने समन जारी कर जम्मू के टाडा कोर्ट में बुलाया था
सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने बताया कि फिलहाल तमिलनाडु में रह रहीं रुबैया को सीबीआई ने समन जारी कर जम्मू के टाडा कोर्ट में बुलाया था। उन्होंने बताया कि यासीन के अलावा इस केस में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद गांदरू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज उद दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी भी आरोपित हैं। इस मामले में कुल 10 आरोपित बनाए गए हैं, जिनमें चार की रुबैया ने पहचान की।
रुबैया की रिहाई के बदले छोड़े गए थे 5 आंतकवादी
रुबैया सईद का वर्ष 1989 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-जे.के.एल.एफ. के अध्यक्ष यासीन मलिक ने अपहरण किया था। उस समय रुबैया सईद के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद देश के गृह मंत्री थे। रुबैया की रिहाई के बदले जे.के.एल.एफ. ने अपने पांच सदस्यों को छोड़े जाने की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने केंद्र की सहमति से यासीन मलिक की मांगें मान ली थी और जेल में बंद आतंकियों को रिहा कर दिया गया था।