अहमदाबाद में बोले ओवैसी – देश को कमजोर पीएम की जरूरत, ताकतवर पीएम तो ताकतवर की ही मदद कर रहा
अहमदाबाद, 10 सितम्बर। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है अब देश को कमजोर प्रधानमंत्री की जरूरत है क्योंकि ताकतवर प्रधानमंत्री को देख लिया है, जो सिर्फ ताकतवर की ही मदद करता है। ओवैसी ने इसके साथ ही इच्छा जताई कि देश में खिचड़ी सरकार बननी चाहिए।
गुजरात, हैदराबाद और उत्तर प्रदेश की खिचड़ी मुख्तलिफ होती है
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने शनिवार को यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘कमजोर..कमजोर की मदद करेगा, ताकतवर..ताकतवर की मदद कर रहा है। देश को कमजोर प्रधानमंत्री की जरूरत है, ताकतवर प्रधानमंत्री हमने देख लिया है। मैं चाहता हूं देश में खिचड़ी सरकार बने क्योंकि गुजरात, हैदराबाद और उत्तर प्रदेश की खिचड़ी मुख्तलिफ होती है।’
Live Barrister @asadowaisi addressing a press conference in Ahmedabad, Gujarat https://t.co/UswqsgszDK
— AIMIM (@aimim_national) September 10, 2022
अहमदाबाद की सभी 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी एआईएमआईएम
उल्लेखनीय है कि इसी वर्षांत होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर ओवैसी ने कमर कस ली है। वह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि AIMIM अहमदाबाद के सभी पांच सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इनमें दरियापुर, दानिलिमदा, जमालपुर, बापूनगर और वेजलपुर शामिल हैं।
नीतीश कुमार, ममता बनर्जी व अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला
दिलचस्प यह रहा कि ओवैसी ने पीएम मोदी के साथ-साथ विपक्षी नेताओं – नीतीश कुमार, ममता बनर्जी व अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। ओवैसी ने कहा कि भाजपा में रहते हुए नीतीश कुमार सीएम बने। गोधरा कांड के दौरान वह भाजपा के साथ थे। उन्होंने 2015 में उन्हें छोड़ दिया, 2017 में वापस चले गए और नरेंद्र मोदी को जीत दिलाने के लिए 2019 का चुनाव लड़ा। वह अब फिर उन्हें छोड़ गए।
ममता बनर्जी का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि ममता बनर्जी पहले एनडीए में थीं और आरएसएस की प्रशंसा की। आम आदमी पार्टी की तुलना भाजपा से करते हुए औवेसी ने कहा कि इन दोनों में कोई फर्क नहीं है। चुनाव के वक्त ये (आरोप-प्रत्यारोप) सब होता है। जनता होशियार है। ये लोग वादे कर रहे हैं, लेकिन जनता अपना फैसला सुनाएगी।
ओवैसी ने आगे कहा, ‘जब हम अल्पसंख्यक समुदायों के विकास और उनके लिए न्याय की बात करते हैं, तो हमारे खिलाफ बकवास की जाती है। यह एक तरह से पाखंड है कि आज जो लोग धर्मनिरपेक्षता के विशेषज्ञ हैं, वे तय करेंगे कि कौन धर्मनिरपेक्ष है और कौन साम्प्रदायिक। देश उन्हें देख रहा है।’