नई दिल्ली, 29 नवंबर। दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति सहित विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग खारिज होने के बाद शुक्रवार को विपक्ष ने राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीम सिंह और जनता दल (यूनाईटेड) के संजय झा को जन्मदिन की बधाई दी गई। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। सभापति ने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए कुल 17 नोटिस मिले हैं लेकिन वह इन्हें स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं।
समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम सहित कुछ अन्य सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार सहित कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए।
धनखड़ ने बताया कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया जबकि उन्हीं की पार्टी के राघव चड्ढा ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था।
सभापति धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य इन मुद्दों को रोज उठा रहे हैं और इस वजह से हुए हंगामे के चलते सदन के तीन कार्यदिवस बर्बाद हो गए। उन्होंने कहा कि सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए नियम 267 को हथियार बना रहे हैं। उन्होंने सदस्यों के आचरण पर नाराजगी जताते हुए उनको आत्ममंथन करने की भी सलाह दी। सभापति की इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरु कर दिया।
इससे पहले कि हंगामा और तेज होता, धनखड़ ने 11 बजकर 13 मिनट पर सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। अब उच्च सदन की कार्यवाही आगामी सोमवार यानी दो दिसंबर को आरंभ होगी। नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो इससे पता चलता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।’’