पलक्कड़, 13 जुलाई। केरल में निपाह वायरस से एक और शख्त की मौत की खबर सामने आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पलक्कड़ जिले के मन्नारकाड स्थित कुमारमपुथुर के 58 वर्षीय व्यक्ति की पेरिंथलमन्ना के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निपाह वायरस से मौत हो गई। इससे राज्यभर में चिंताएं बढ़ गई हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है।
मृतक को पहले बुखार के साथ मन्नारकाड के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार शाम को सांस लेने में गंभीर तकलीफ के बाद उसे पेरिंथलमन्ना अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। चूंकि उसके लक्षण निपाह संक्रमण से काफी मिलते-जुलते थे, इसलिए उसे इलाज के लिए आइसोलेशन में रखा गया था।
मंजेरी मेडिकल कॉलेज में की गई प्रारंभिक जांच में निपाह वायरस की पुष्टि हुई। आगे की पुष्टि के लिए उसनके नमूने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे भेजे गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने संक्रमण के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। संपर्कों का पता लगाने का काम चल रहा है। स्वास्थ्यकर्मी उन लोगों की पहचान कर रहे हैं, जो मृतक के संपर्क में आए होंगे।
इस बीच केरल स्वास्थ्य विभाग ने इस मौत के बाद अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। क्षेत्र में निगरानी और रोकथाम के उपाय तेज किए जा रहे हैं। इस घटना ने राज्य में निपाह वायरस के संभावित प्रकोप की आशंकाओं को फिर से जगा दिया है, जहां हाल के वर्षों में इस वायरस के पहले भी घातक मामले सामने आए हैं।
जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला जूनोटिक वायरस है निपाह
निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है। ये जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। यह खासकर संक्रमित चमगादड़ों, सूअरों या फिर संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से फैलता है।
लक्षण : निपाह वायरस के लक्षण सामान्य रूप से बुखार से मिलते जुलते होते हैं। इसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। गंभीर मामलों में यह वायरस एन्सेफलाइटिस कारण बन सकता है।
उपचार और रोकथाम : निपाह वायरस का कोई टीका या विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। उपचार लक्षणों से राहत और जटिलताओं को रोकने पर केंद्रित होता है। निपाह वायरस के प्रसार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि जोखिम से बचा जाए। इसमें बीमार जानवरों खासर सूअरों, चमगादड़ों से बचना चाहिए।
