PMLA पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध, कानून में बदलाव सही
नई दिल्ली, 27 जुलाई। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट आज मनी लॉंड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाया जा रहा है। कोर्ट में दायर याचिकाओं में PMLA के कई प्रावधानों को कानून और संविधान के खिलाफ बताया गया है। वहीं आज सुप्रीम कोर्ट ये स्पष्ट कर सकता है कि मनी लॉंड्रिंग एक्ट के असल माइने क्या हैं और इसके अधिकार क्षेत्र क्या है?
दायर याचिका में कहा गया है कि PMLA के कई प्रावधान कानून के खिलाफ हैं। गलत तरीके से पैसा कमाने का मुख्य अपराध साबित न होने पर भी पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में PMLA का मुकदमा चलता रहता है। दलीलों में कहा गया है कि, इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है। साथ ही इस कानून में अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं। वहीं, मुख्य अपराध साबित न होन पर भी मुकदमा लंबा चलता रहता है। ये वो दलीलें है जिनके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में मनी लॉंड्रिंग एक्ट को चुनौती दी गई है।
वहीं सरकार की ओर से इस कानून के पक्ष में कहा गया है कि लोगों ने कार्रवाई से बचने के लिए इस प्रकार की याचिका दायर की है। ये वहीं कानून है जिसकी मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहूल चौकसी जैसे लोगों से अबतक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूले गए हैं। बता दें, पीएमएलए के कई अलग-अलग पहलुओं पर 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं जिसके बाद शीर्ष अदालत ने अदालत ने इन सभी को एक साथ कल्ब कर दिया।