अब स्कूलों का सेफ्टी ऑडिट कराना अनिवार्य – छात्रों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने जारी किए निर्देश
नई दिल्ली, 27 जुलाई। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा के लिए तुरंत प्रभाव से सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसमें नेशनल सेफ्टी कोड के अनुसार स्कूलों का सेफ्टी ऑडिट करना जरूरी होगा।
मंत्रालय के निर्देशानुसार बच्चों से संबंधित सुविधाओं का सेफ्टी ऑडिट करने के साथ-साथ कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण भी देना होगा। छात्रों को मानसिक तनाव से बचाने के लिए भी स्कूलों को तय दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हाल ही में देश के कई हिस्सों के स्कूलों में हादसे हुए हैं, जो गंभीर चिंता की बात है। गौरतलब है कि बीते शुक्रवार (25 जुलाई) को राजस्थान के झालावाड़ जिले में सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा ढह जाने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। इससे पहले गत 18 जुलाई को झारखंड के रांची में लगातार बारिश के बीच एक सरकारी स्कूल की छत का हिस्सा ढहने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। कुछ बच्चे घायल भी हुए थे।
कमियों की पहचान कर सुधार करना होगा
भविष्य में ऐसे किसी भी हादसे को रोकने के लिए प्रशासन को तैयार रहना होगा और जो भी कमियां हैं, उनकी पहचान कर सुधार के उपाय करने होंगे। मंत्रालय ने शिक्षा विभागों, स्कूल बोर्डों और संबद्ध अधिकारियों से बिना किसी देरी के दिशा-निर्देशों को लागू करने को कहा है।
शिक्षा मंत्रालय ने जारी किए ये निर्देश
- छात्र स्कूल आने-जाने में जिस ट्रांसपोर्ट सर्विस का इस्तेमाल करते हैं, उसके बारे में भी स्कूलों को ध्यान देना होगा।
- फायर सेफ्टी, आपातकालीन निकास और इलेक्ट्रिकल वायरिंग की भी जांच करनी होगी।
- मंत्रालय ने साफ किया है कि अगर भविष्य में कोई हादसा होता है तो उसके लिए जवाबदेही तय की जाए। यह पता लगाया जाए कि किसकी लापरवाही से हादसा हुआ है।
- NDMA, फायर सर्विसेज, पुलिस और मेडिकल एजेंसियों के साथ सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि समय-समय पर प्रशिक्षण सत्र और मॉक ड्रिल हों।
- शारीरिक सुरक्षा के अलावा, मेंटल हेल्थ को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। छात्रों के लिए काउंसलिंग सेशन हो और उनको किसी भी तरह की मानसिक परेशानी हो तो इस बारे में उनकी मदद की जाए।
- माता-पिता, अभिभावकों, कम्युनिटी लीडर्स और स्थानीय निकायों को सतर्क रहने को कहा जाए। गांव में यदि स्कूल में कोई कमी दिखती है तो नागरिकों को इसकी जानकारी प्रशासन को देनी चाहिए। शिकायत पर एक्शन लेना प्रशासन के लिए जरूरी होगा।
