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नीतीश कुमार का पलटवार – भाजपा का काम कर रहे प्रशांत किशोर, जदयू का कांग्रेस में विलय कराना चाहते थे

नीतीश कुमार का पलटवार – भाजपा का काम कर रहे प्रशांत किशोर, जदयू का कांग्रेस में विलय कराना चाहते थे

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पटना, 8 अक्टूबर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर पलटलवार करते हुए कहा है कि यह वही प्रशांत किशोर हैं, जो कुछ समय पहले जदयू के कांग्रेस में विलय की सलाह दे रहे थे।

नीतीश कुमार ने इसके साथ यह भी कहा कि प्रशांत किशोर अब भाजपा के साथ हैं, लिहाजा वहां के हिसाब से बयानबाजी कर रहे हैं। नीतीश ने ये बातें एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कहीं, जब उनसे पूछा गया प्रशांत किशोर का कहना है कि आपने उन्हें सरकार में पोस्ट ऑफर की थी।

उनकी जो मर्जी बोलें, हम लोगों को कोई लेना-देना नहीं

नीतीश ने कहा, ‘प्रशांत किशोर ऐसे ही बोलते रहते हैं। ऐसा कुछ नहीं है, बस उनकी बातें सुन लीजिए। उनकी जो मर्जी बोलते रहें। हम लोगों को कोई लेना देना नहीं है। मैं प्रशांत किशोर पर रोज-रोज बोलना उचित नहीं समझता। वह मेरे साथ रहते थे, मेरे घर में रहते थे, अब हम क्या बोलें।’

सीएम नीतीश ने पीके पर निशाना साधते हुए कहा, ‘इन लोगों को कोई ठिकाना नहीं है। चार-पांच साल पहले की बात है। प्रशांत किशोर ने आकर मुझसे कहा था कि अपनी पार्टी को कांग्रेस में मर्ज कर दीजिए। तब मैंने कहा था भला हम कांग्रेस में खुद को मर्ज करेंगे? आजकल वह जहां गए हैं, बीजेपी में उसके हिसाब से सब कर रहे हैं।’

पीके बोले थे – मुख्यमंत्री बनके नीतीश बहुत होशियार बन रहे

गौरतलब है कि पीके ने हाल ही में दावा किया था कि नीतीश कुमार ने उनसे जदयू का नेतृत्व करने का अनुरोध किया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। पश्चिम चंपारण जिले के जमुनिया गांव में कुमार पर प्रहार करते हुए किशोर ने कहा था कि मुख्यमंत्री बनके बहुत होशियार बन रहे हैं।

पीके ने नीतीश कुमार पर प्रहार जारी रखते हुए कहा था, ‘2014 में (लोकसभा) चुनाव हारने के बाद दिल्ली आकर उन्होंने कहा था कि हमारी मदद कीजिए। महागठबंधन बनाकर (2015 बिहार विधानसभा चुनाव) में हमलोगों ने उनको जिताने में कंधा लगाया, अब बैठकर (मुख्यमंत्री बनकर) हमें ज्ञान दे रहे हैं। अभी 10-15 दिन पहले बुलाकर बोले कि हमारी पार्टी का नेतृत्व कीजिए, हमने कहा कि अब यह नहीं हो सकता है।’

स्मरण रहे कि आईपैक के संस्थापक प्रशांत किशोर को 2018 में नीतीश कुमार द्वारा जदयू में शामिल किया गया था और वह कुछ ही हफ्तों में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिए गए थे। हालांकि सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद को लेकर कुमार के साथ तकरार के कारण कम समय में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

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