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प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में निर्मला सीतारमण ने कहा – 2022 में भारतवंशियों ने विदेश से भेजे 100 अरब अमेरिकी डॉलर भेजे

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में निर्मला सीतारमण ने कहा – 2022 में भारतवंशियों ने विदेश से भेजे 100 अरब अमेरिकी डॉलर भेजे

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इंदौर, 10 जनवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 2022 के दौरान भारतवंशियों द्वारा देश में भेजी गई रकम इसके पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत बढ़कर करीब 100 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई। यहां ‘प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन’ के एक सत्र के दौरान उन्होंने देश के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को रेखांकित करते हुए ये आंकड़े पेश किए।

निर्मला सीतारमण कहा, ‘कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद 2022 के दौरान भारतवंशियों ने विदेश से देश में लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर भेजे, जो 2021 के मुकाबले 12 प्रतिशत ज्यादा है। लोगों ने सोचा था कि महामारी के प्रकोप के चलते भारत लौटे पेशेवर शायद लौटकर विदेश नहीं जाएंगे, लेकिन वे वहां पहले के मुकाबले ज्यादा तादाद में रोजगार के लिए गए और पहले के मुकाबले ज्यादा रकम देश में पहुंचाई।’

प्रवासी भारतीयों को भारत का वास्तविक राजदूतकरार दिया

वित्त मंत्री ने प्रवासी भारतीयों को ‘भारत का वास्तविक राजदूत’ करार दिया और उनसे अपील की कि जहां तक संभव हो सके, वे भारत में बने उत्पादों और सेवाओं का इस्तेमाल करें ताकि देश के अलग-अलग ब्रांड का दुनियाभर में प्रचार हो सके।

निर्मला ने कहा कि भारतवंशियों द्वारा देश के छोटे-बड़े कारोबारियों के साथ भागीदारी भी की जानी चाहिए ताकि आजादी के अमृत काल के दौरान अगले 25 वर्षों में प्रवासी भारतीयों के उद्यमिता कौशल को भुनाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा ‘चीन प्लस वन’ नीति के बाद दुनिया अब ‘यूरोपीय संघ (ईयू) प्लस वन’ नीति की बात भी कर रही है।

आकांक्षाओं से भरा भारत 4 आईपर अपना ध्यान केंद्रित करेगा

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सामने भारत को ऐसे देश के रूप में पूरी मजबूती से प्रस्तुत कर रही है, जहां वे चीन और ईयू के अलावा अपने कारखाने लगा सकती हैं। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल तकनीक, ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग, दवा निर्माण व अन्य क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों के दबदबे का हवाला देते हुए कहा कि देश ज्ञान और प्रगति का वैश्विक केंद्र बन रहा है। उन्होंने कहा, ‘आजादी के अमृत काल में आकांक्षाओं से भरा भारत चार ‘आई’ पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा), इन्वेस्टमेंट (निवेश), इनोवेशन (नवाचार) और इन्क्लूजन (समावेशन) शामिल हैं।’

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