
लखनऊ, 1 अक्टूबर। गोरखपुर पुलिस की पिटाई से कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत के मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी गंभीरता से लिया है। इस क्रम में आयोग ने रामपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट के पत्र का संज्ञान लेते हुए गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन टांडा और संबंधित थानाध्यक्ष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां के आवेदन पर एनएचआरसी की काररवाई
रामपुर के नादरबाग मढ़ैया निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा है कि गोरखपुर के इस चर्चित प्रकरण में पुलिस हीला-हवाली की कोशिश कर रही है जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक प्रॉपर्टी डीलर मनीष की मौत बर्बर पिटाई से हुई है। मनीष के पूरे शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की झूठी कहानी की पोल खोलकर रख दी
दानिश के अनुसार मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की झूठी कहानी की पोल खोलकर रख दी है। हालांकि, पुलिस ने घटना के बाद अपने पहले बयान में इसे हादसे में हुई मौत बताया था। उन्होंने डीएम, एसएसपी और संबंधित थाना पुलिस पर काररवाई की मांग की। दानिश के इस प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने केस दर्ज कर लिया है।
कानपुर निवासी मनीष की गोरखपुर में हुई थी मौत
गौरतलब है कि कानपुर के बर्रा निवासी मनीष गुप्ता अपने दोस्त प्रदीप सिंह और हरवीर सिंह के साथ गोरखपुर घूमने आया था। सिकरीगंज के चंदन सैनी से तीनों की पुरानी दोस्ती थी। उसने ही कृष्णा पैलेस में अपने नाम पर कमरा बुक कराया था। बीते सोमवार की रात पुलिस चेकिंग करने के लिए पहुंची थी। इस दौरान एक कमरे में तीन लोगों के मौजूद होने पर पुलिस ने चेकिंग की। आरोप है कि इस दौरान पुलिसकर्मियों ने मनीष गुप्ता की जमकर पिटाई कर दी, जिससे मनीष गंभीर रूप से जख्मी हो गया।
पुलिस ने जख्मी मनीष को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां हालत नाजुक होने पर पुलिस उसे लेकर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज गई, जहां उसकी मौत हो गई। घटना के संबंध में लापरवाही बरतने के आरोप में एसएसपी गोरखपुर द्वारा प्रभारी निरीक्षक रामगढ़ताल सहित छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। अब इस प्रकरण में इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
एडीजी का दावा – मनीष ने पूछताछ में पुलिस का सहयोग नहीं किया
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने गुरुवार को ही दावा किया था कि कारोबारी मनीष गुप्ता ने होटल में निरीक्षण के दौरान पूछताछ में पुलिस का सहयोग नहीं किया था।
भागने के दौरान गिरने से हुई थी मनीष की मौत
प्रशांत कुमार ने गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने सभी जगह चेकिंग के आदेश दिए थे। उस संबंध में एक होटल में चेकिंग की गई, जहां एक कमरे में तीन लोग थे। दो व्यक्तियों के पास पहचान पत्र था जबकि एक के पास नहीं था। जब पूछताछ की गई तो मनीष ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया और निकलकर भागने की कोशिश की। एडीजी ने यह भी दावा किया कि भागने के दौरान गिरने से मनीष को चोट आई और उसे जब उपचार के लिए ले जाया गया तो उसकी मृत्यु हो गई।