लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह, सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकाप्टर के थे पायलट
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर। कुन्नूर हेलीकाप्टर हादसे की भेंट चढ़े सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत अन्य 13 पर पूरा देश शोक मना रहा है। कुन्नूर हादसे में केवल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जिंदा बचे हैं और उनका भी इलाज वैलिंगटन के अस्पताल में चल रहा है। वे फिलहाल लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं और उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। इसकी जानकारी रक्षा मंत्री ने संसद को दी है। जिस जगह ये हादसा हुआ वो लैंडिंग की जगह से महज दस मिनट की दूरी पर थी।
बता दें कि कैप्टन वरुण बेहद अनुभवी पायलट हैं। उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा जा चुका है। ये शांति के समय में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पदक है। आपको बता दें कि जनरल रावत सेना के दूसरे सर्वोच्च अधिकारी थे जिनकी मौत पद पर रहते हुए हुइ थी। इससे पहले जनरल बिपिन चंद जोशी (बीसी जोशी) का निधन उस वक्त हुआ था जब वो सेनाध्यक्ष थे।
ये पदक उन्हें एलसीए तेजस की उड़ान के दौरान सामने आई आपात स्थिति में खुद को सावधानी से सकुशल बचाने के लिए दिया गया था। 12 अक्टूबर 2020 को वो तेजस की उड़ान पर थे। इस विमान को वो अकेले उड़ा रहे थे। तभी इस विमान में तकनीकी दिक्कत आ गई। विमान के फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में आई गड़बड़ी आ गई और विमान का लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी फेल होने लगा था। उस वक्त वो अपने एयरबेस से काफी दूर थे और उनकी ऊंचाई भी काफी अधिक थी। काकपिट का प्रेशर सिस्टम खराब आने से लगातार हालात खराब हो रहे थे। उन्होंने बिना देर लगाए न सिर्फ स्थिति को संभाला और सही फैसला भी लिया।
उन्होंने विमान में हुई तकनीकी दिक्कत का पता लगाया और उस पर नियंत्रण पाने की पूरी कोशिश की। इसमें उन्हें आंशिक रूप से सफलता भी मिली और किसी तरह से वो विमान पर दोबारा कंट्रोल पाने में कामयाब रहे। लेकिन दस हजार फीट पर विमान में फिर दिक्कत आ गई और वो इसका कंट्रोल फिर खो बैठे। विमान तेजी से नीचे की तरफ आ रहा था और वक्त लगातार कम हो रहा था।
उनके पास केवल एक ही विकल्प था कि वो या तो विमान से बाहर निकल जाएं और विमान को दुर्घटनाग्रस्त होने दें या फिर उस पर दोबारा नियंत्रण के लिए दोबारा कोशिश करें। उन्होंने विमान पर दोबारा नियंत्रण की कोशिश की। उनका ये फैसला उनकी जान पर भारी पड़ सकता था। लेकिन वो अपनी कोशिश में कामयाब रहे और विमान को कई खराबियों के बीच सही सलामत जमीन पर उतार लिया।
इस तरह से हजारों करोड़ के विमान को खोने से उन्होंने बचा लिया था। इसके लिए उन्हें विंग कमांडर से ग्रुप कैैप्टन बनाया गया और शौर्य चक्र से नवाजा गया था। विमान को बचाने की कोशिश में उन्होंने जी फोर्स की हदों को पार किया था। इस दौरान उन्हें अपनी ट्रेनिंग के वो पल काम आए जो इसी समय के लिए बताए जाते हैं। आपको बता दें कि तेजस विमान की तैनाती वर्ष 2016 में सुलूर एयरबेस पर ही की गई थी। हालांकि बाद में तेजस एमके जो एक इंप्रूव जेट है उसके आर्डर भी दिए जा चुके हैं। ।