लखनऊ, 9 जनवरी। उत्तर प्रदेश में तेजी से पांव पसार रहे कोरोना के प्रकोप से बचने के लिये सरकार ने टेस्टिंग और टीकाकरण अभियान की रफ्तार बढ़ाने के साथ एहतियात के तौर रात्रिकालीन कर्फ्यू की अवधि में विस्तार किया है और सभी शिक्षण संस्थाओं को 16 जनवरी तक केवल ऑनलाइन मोड में पढ़ाई कराने के निर्देश दिये है।
कोविड प्रबंधन के लिये गठित उच्चस्तरीय टीम-09 की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को वैश्विक महामारी की समीक्षा करने के बाद कहा कि यह संक्रमण वायरल फीवर की तरह है। इसलिये इससे डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सभी एहतियात अवश्य बरती जाएं। पिछले 24 घंटों में 02 लाख 22 हजार 974 कोरोना टेस्ट किये गये, जिसमें 7695 नए कोरोना पॉजिविट पाए गये। इसी अवधि में 253 लोग उपचारित होकर कोरोना मुक्त भी हुए।
कोविड की बदलती परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के सभी जिलों में रात्रि 10 बजे से सुबह छह बजे तक रात्रिकालीन कर्फ्यू प्रभावी किया जाए। इसके अतिरिक्त, सभी शिक्षण संस्थानों में आगामी 16 जनवरी तक भौतिक रूप से पठन-पाठन स्थगित रखा जाए। केवल ऑनलाइन मोड में पढ़ाई हो। इस अवधि में पूर्व निर्धारित परीक्षाएं आयोजित की जा सकेंगी।
उन्होने कहा कि एग्रेसिव ट्रेसिंग, टेस्टिंग, त्वरित ट्रीटमेंट और तेज टीकाकरण की नीति से प्रदेश में कोविड की स्थिति नियंत्रण में है। एक्टिव केस की कुल संख्या वर्तमान में 25,974 है। इनमें 25,445 लोग होम आइसोलेशन में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। बहुत कम संख्या में लोगों को अस्पताल की जरूरत पड़ रही है। यह संक्रमण कम तीव्रता वाला है, अतः इसके लक्षण दिखने पर सामान्य मरीज होम आइसोलेशन में रहकर चिकित्सक की सलाह से अपना इलाज कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तक 13 करोड़ 39 लाख से अधिक लोगों ने टीके की पहली डोज प्राप्त कर ली है, जबकि सात करोड़ 85 लाख से अधिक लोग कोविड टीके की दोनों डोज ले चुके हैं। शनिवार तक 15 से 18 आयु वर्ग के 21 लाख 54 हजार से अधिक किशोरों ने टीका कवर प्राप्त कर लिया है। टीके की उपयोगिता को देखते हुए जल्द से जल्द सभी पात्र लोगों का वैक्सीनेशन किया जाए। माध्यमिक विद्यालयों में विशेष शिविर लगाए जाएं। 15 जनवरी तक 15-18 आयु वर्ग के 100 फीसदी किशोरों को टीके की पहली डोज जरूर प्राप्त हो जाए।
उन्होने कहा कि सावधानी और सतर्कता ही कोविड नियंत्रण का आधार है। संक्रमण की रोकथाम के लिये सभी जरूरी कदम उठाए जाएं। मास्क के प्रयोग, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन इत्यादि से इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखें उन्हें होम आइसोलेशन में रखते हुए इलाज किया जाए और उनकी निरन्तर मॉनीटरिंग की जाए। को-मॉर्बिड मरीजों, बुजुर्गाें और बच्चों को संक्रमण से बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाए, यदि वे संक्रमित हों तो उनके इलाज की प्रक्रिया की सतत मॉनीटरिंग हो। उन्हें तत्काल मेडिसिन किट उपलब्ध कराई जाए।